Muzaffarpur News: स्कूलों में कक्षाओं की कमी को देखते हुए शिक्षण कार्य व्यवस्था में होने जा रहा महत्वपूर्ण बदलाव
मुजफ्फरपुर जिले के कई प्रखंडों के विद्यालयों में छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण दो पालियों में शिक्षण कार्य शुरू किया जाएगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को जांच कर रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। विद्यालयों ने कक्षाओं की कमी के कारण दो पालियों में संचालन का प्रस्ताव रखा है। इससे छात्रों को भीड़ से राहत मिलेगी।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur New : जिले के विभिन्न प्रखंडो के कई विद्यालयों में छात्रों की संख्या अधिक और कक्षाओं की कमी को देखते हुए दो पाली में शिक्षण कार्य शुरू किया जाएगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी मुजफ्फरपुर की ओर से जारी पत्र के आलोक में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, माध्यमिक शिक्षा, अमित कुमार ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को जांच कर प्रतिवेदन भेजने का निर्देश जारी किया है।
पत्र के मुताबिक कई विद्यालयों में दो पाली में संचालन के लिए लिखित आवेदन प्राप्त हुए है। आवेदन के जरिए बताया जा रहा था कि बढ़ते नामांकन और उपलब्ध कक्षाओं की संख्या अपर्याप्त है।
ऐसे में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए सुबह और दोपहर दो अलग पालियों में कक्षा संचालन का प्रस्ताव रखा गया है। सूची में शामिल विद्यालयों में प्रमुख रुप से मुशहरी, कुढ़नी, मीनापुर, बंदरा, मुरौल, सरैया आदि प्रखंड के स्कूल शामिल है। शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव से विद्यार्थियों को भीड़-भाड़ से राहत मिलेगी और शिक्षण की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
वित्त रहित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मी को कर्मी करें घोषित : पार्षद
मुजफ्फरपुर: विधान पार्षद वंशीधर ब्रजवासी ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि अनुदानित विद्यालयों एवं संबद्ध महाविद्यालयों में कार्यरत वित्तरहित शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को वेतनमान देते हुए राज्यकर्मी घोषित किया जाए।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस सिद्धार्थ को पत्र लिखकर कहा कि राज्य सरकार ने आशा, ममता, जीविका कार्यकर्ताओं, स्कूलों में रसोइयों, रात्री प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय में बढ़ोतरी की गई है, जो आर्थिक न्याय की दिशा में एक सराहनीय पहल है।
हालांकि, वित्तरहित शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी भी इसी राज्य के निवासी हैं और वर्षों से राज्य के विकास में योगदान दे रहे हैं, लेकिन उनके साथ न्याय नहीं हो सका है।
राज्य सरकार ने इन शिक्षकों के लिए परिणाम आधारित अनुदान देने की योजना लागू की है, लेकिन यह अनुदान कई वर्षों से बकाया है, जिससे शिक्षकों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
इन शिक्षकों को मिलने वाला अल्प अनुदान किसी सामान्य मजदूर के जीवन यापन के लिए भी अपर्याप्त है। ये उच्च शिक्षित लोग शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के कारण सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं।

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