Muzaffarpur News : गायघाट में भाई-बहन को घर में अकेला छोड़ माता-पिता चले गए काम करने, करंट लगने से दोनों की मौत
Muzaffarpur News मुजफ्फरपुर के गायघाट में एक हृदयविदारक घटना घटी जहां करंट लगने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। बच्चे घर पर खेल रहे थे तभी वे बिजली की चपेट में आ गए। माता-पिता घर से बाहर गए हुए थे। घटना के बाद पूरे गांव में मातम पसर गया। परिजनों ने बिना पोस्टमार्टम कराए ही बच्चों का अंतिम संस्कार कर दिया।

संवाद सहयोगी, गायघाट(मुजफ्फरपुर)। थाना क्षेत्र के कमरथू गांव में गुरुवार दोपहर लगभग दो बजे करंट की चपेट में आने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। हादसे के समय बच्चों के माता-पिता घर पर मौजूद नहीं थे। मृतकों में चार वर्षीय रुद्र कुमार और दो वर्षीय अनुष्का कुमारी शामिल हैं, जो सगे भाई-बहन थे।
जानकारी के अनुसार, बच्चों के पिता मिट्ठू कुमार सिंह पेशे से बिजली मिस्त्री हैं और गुरुवार की सुबह किसी काम से बाहर गए थे। उनकी पत्नी भी किसी कार्यवश प्रखंड मुख्यालय गई थीं। बड़ा पुत्र स्कूल गया हुआ था, जबकि रुद्र और अनुष्का घर में खेल रहे थे। इसी दौरान स्टैंड फैन के नंगे तार की चपेट में आ गए।
दोनों बच्चे की करंट से झुलसने से मौके पर ही उनकी मौत हो गई। जब मां घर लौटी और बच्चों को मृत अवस्था में देखा तो वह बेसुध होकर गिर पड़ी। उसकी चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग जुटे और उन्हें ढाढ़स बंधाने का प्रयास किया। इस हृदयविदारक घटना के बाद पूरे गांव में शोक का माहौल है। अंचलाधिकारी शिवांगी पाठक ने बताया कि मृतकों के स्वजन ने प्रशासन को किसी प्रकार की सूचना नहीं दी। शव को बिना पोस्टमार्टम कराए अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
कामकाजी माता-पिता ऐसे करें बच्चे की देखभाल
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठा दिया है कि एकल परिवार के कामकाजी दंपती किस तरह बच्चों की देखभाल और काम के बीच संतुलन कायम रखें। कामकाजी माता-पिता के लिए बच्चों की देखभाल करना एक बड़ी चुनौती होती है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो मददगार हो सकते हैं:
समय प्रबंधन:
- नियमित दिनचर्या: बच्चों के लिए एक नियमित दिनचर्या बनाएं, जिसमें स्कूल, खेल, और अन्य गतिविधियों के लिए समय निर्धारित हो।
- गुणवत्तापूर्ण समय: बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने का प्रयास करें, जैसे कि साथ में भोजन करना, खेलना या बातचीत करना।
बच्चों की देखभाल:
- विश्वसनीय देखभालकर्ता: एक विश्वसनीय देखभालकर्ता की व्यवस्था करें, जैसे कि परिवार का कोई सदस्य, नानी या दादी, या एक पेशेवर नैनी।
- स्कूल के बाद की गतिविधियां: बच्चों को स्कूल के बाद की गतिविधियों में शामिल करें, जैसे कि खेल, संगीत, या कला कक्षाएं।
भावनात्मक समर्थन:
- भावनात्मक समर्थन: बच्चों को भावनात्मक समर्थन प्रदान करें, जैसे कि उनकी भावनाओं को सुनना और समझना।
- संचार: बच्चों के साथ खुलकर संवाद करें और उनकी चिंताओं और समस्याओं को समझने का प्रयास करें।
सहायता प्राप्त करना:
- परिवार और मित्र: परिवार और मित्रों से सहायता प्राप्त करने का प्रयास करें, जैसे कि बच्चों की देखभाल में मदद करना।
- पेशेवर सहायता: यदि आवश्यक हो, तो पेशेवर सहायता लेने का विचार करें, जैसे कि एक परामर्शदाता या चिकित्सक।
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