अब कॉलेजों में विद्यार्थी भी लगाएंगे बायोमेट्रिक से हाजिरी, उच्च शिक्षा विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब छात्रों को शिक्षकों की तरह बायोमेट्रिक हाजिरी लगानी होगी। उच्च शिक्षा विभाग ने नया प्रस्ताव तैयार किया है जिससे ऑनलाइन हाजिरी की निगरानी सरल होगी। इसके साथ ही स्नातक कोर्स के छात्र मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स से पढ़ाई कर सकेंगे। विभाग कॉलेजों में उपकरणों की कमी को दूर करने के लिए समीक्षा बैठक भी करेगा।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्नातक से लेकर पीजी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी अब शिक्षकों की तरह बायोमेट्रिक हाजिरी लगाएंगे। उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे नए सत्र में लागू करने की योजना बनाई गई है।
विभाग ने इस नई व्यवस्था के लिए कार्य योजना भी तैयार कर ली है। ऑनलाइन हाजिरी की शुरुआत से विद्यार्थियों की उपस्थिति की मॉनिटरिंग करना अब काफी सरल हो जाएगा। विभाग के स्तर पर कालेजों में 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों की निगरानी करना भी आसान होगा।
उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. एनके अग्रवाल ने बताया कि कालेजों के विद्यार्थियों के लिए आनलाइन हाजिरी की नई व्यवस्था पर कार्य चल रहा है। इससे विद्यार्थियों की उपस्थिति की निगरानी की जा सकेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहले से ही बायोमेट्रिक्स हाजिरी की व्यवस्था लागू है। इसके अलावा, परंपरागत कॉलेजों के शिक्षकों के लिए भी यह व्यवस्था पहले से मौजूद है।
मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स से पढ़ाई करेंगे विद्यार्थी
चार वर्षीय स्नातक कोर्स के तहत नामांकित छात्र-छात्राओं को अब ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प भी मिलेगा। इसके लिए मूक यानी मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स का उपयोग किया जाएगा।
निदेशक ने बताया कि इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजा गया है, ताकि छात्र ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का लाभ उठा सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थी पाठ्यक्रम के साथ-साथ कई तकनीकी कोर्स, स्किल डेवलपमेंट और अन्य कोर्स भी ऑनलाइन कर सकते हैं।
लैब के उपकरणों के लिए मांगी जाएगी सूची
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कॉलेजों में पठन-पाठन की समीक्षा बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी। कालेजों के प्राचार्यों को आमंत्रित कर प्रैक्टिकल के लिए आवश्यक उपकरणों की सूची मांगी जाएगी। इस आधार पर उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास विभाग द्वारा किया जाएगा।
साइंस जैसे विषयों में प्रैक्टिकल के उपकरणों की कमी से विद्यार्थियों को काफी परेशानी होती है, जबकि नामांकन के समय उनसे हर वर्ष शुल्क लिया जाता है।
कई कॉलेजों में लंबे समय से उपकरणों की खरीदारी नहीं हो सकी है, जबकि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत कुछ कॉलेजों और विश्वविद्यालय के दो-तीन पीजी विभागों में उपकरण खरीदे गए थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।