Waste Management: मुजफ्फरपुर में गीले कचरे से बनेगी बायोगैस, इन शहरों में प्लांट लगाएगी गेल
मुजफ्फरपुर शहर के गीले कचरे से अब बायोगैस बनेगी। गेल इंडिया लिमिटेड यहां कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाएगा। नगर विकास विभाग ने यह जिम्मेदारी सौंपी है। तैयार बायोगैस का उपयोग वाहनों में ईंधन के रूप में होगा। इससे कचरा निष्पादन की समस्या दूर होगी और स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग सुधरेगी। शहर से प्रतिदिन 50 से 70 टन गीला कचरा निकलता है।
प्रमोद कुमार, मुजफ्फरपुर। शहर से निकलने वाले गीले कचरे से अब बायोगैस तैयार होगी। इसके लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम गेल (इंडिया) लिमिटेड शहर में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट लगाएगी।
नगर विकास एवं आवास विभाग ने मुजफ्फरपुर समेत राज्य के पांच शहरों में सीबीजी प्लांट लगाने के लिए अलग-अलग केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
आइओसीएल दरभंगा व गया, एचपीसीएल भागलपुर व बीपीसीएल बेतिया में प्लांट लगाएगी। इसके बाद यहां तैयार बायोगैस का इस्तेमाल वाहनों में हरित नवीकरण आटोमोटिव ईंधन के रूप में किया जाएगा।
जल्द ही गेल इंडिया लिमिटेड की टीम स्थल निरीक्षण करने आने वाली है। इस प्लांट के बनने से न सिर्फ कचरा निष्पादन की समस्या का निदान होगा, बल्कि वाहनों को चलाने के लिए सस्ता ईंधन भी मिलेगा। नगर निगम प्लांट के लिए रौतिनया स्थित जमीन उपलब्ध करा सकता है।
शहर से निकलने वाले कचरे के निष्पादन में विफल रहने के कारण इस साल स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम रैंकिंग में बिहार के छोटे-छोटे शहरों से पीछे रह गया था। इस योजना से नगर निगम को आने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग मिल सकती है।
शहर से प्रतिदिन 50 से 70 टन गीला कचरा निकलता है। पांच साल पहले नगर निगम ने गीले कचरे से बायो खाद बनाने की योजना शुरू की थी। दो साल तक कचरे से खाद बनाने का काम ठीक-ठाक रहा, लेकिन बाद के दिनों में यह ठीक से काम नहीं कर पाया।
वर्तमान में कचरे से खाद बनाने का काम मात्र खानापूर्ति रह गया है। ऐसे में गीले कचरे से बायोगैस बनाने की योजना का लाभ नगर निगम को मिलेगा।
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