Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Muzaffarpur News: कांटी में कृषि विभाग की करोड़ों की जमीन बेच दी, पदाधिकारी व सीओ की कार्यशैली पर सवाल

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 04:13 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर के कांटी अंचल में कृषि विभाग की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री का मामला सामने आया है। खतियान में नाम दर्ज होने के बावजूद जमीन बेच दी गई और जमाबंदी भी कर दी गई। राजस्व विभाग के अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद भी दाखिल-खारिज किया गया जिससे कृषि विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। डीएम ने मामले में रिपोर्ट मांगी है।

    Hero Image
    इसी जमीन को अवैध ढंग से बेच दी गई। जागरण

    प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur News: कांटी अंचल स्थित कृषि विभाग के नाम से खतियान में दर्ज की करोड़ों की जमीन की खरीद-बिक्री कर दी गई। यही नहीं इसकी जमाबंदी भी कर दी गई। जमीन पर कब्जे की कार्रवाई होने के बाद विभाग के अधिकारियों की नींद खुली है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं खतियान में कृषि विभाग के नाम से जमीन दर्ज होने के बाद भी इसकी आसानी से जमाबंदी कर दी गई। इससे जिले के कृषि पदाधिकारी व कांटी अंचलाधिकारी की कार्यशैली सवाल के घेरे में है।

    कृषि विभाग के विरुद्ध कोर्ट में आदेश होने के बाद अपील नहीं करने पर डीएम सुब्रत कुमार सेन ने जिला कृषि पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। वहीं अपील दायर करने को लेकर अपर समाहर्ता व सरकारी अधिवक्ता को निर्देश दिया है।

    विदित हो कि कांटी अंचल के कांटी कसबा मौजा में कृषि विभाग की 22.77 एकड़ जमीन खतियान में दर्ज है। राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र में यहां वर्षों से कृषि विभाग की ओर से खेती की जा रही है।

    इस बीच खतियान में दर्ज बीज विस्तार प्रदेश की जमीन में से 44 डिसमिल का निबंधन पांच नवंबर, 2024 को जिला अवर निबंधन कार्यालय से कर दिया गया। बताते हैं कि सब जज पश्चिमी के एक कोर्ट के आदेश पर जमीन का निबंधन किया गया।

    वर्ष 2019 में दायर वाद में 2023 में यह आदेश आया था। इसके बाद सीतामढ़ी निवासी नवीन कुमार ने मोतीपुर के दीपक कुमार व कांटी निवासी गौरव कुमार को जमीन बेच दी।

    दाखिल-खारिज करने पर उठे सवाल

    जमीन बिक्री के बाद इसके दाखिल-खारिज को लेकर कांटी अंचल कार्यालय में आवेदन दिया गया। इस पर कृषि विभाग की ओर से आपत्ति को लेकर एक पत्र कांटी अंचलाधिकारी को भेजा गया।

    वहीं राजस्व कर्मचारी ने रिपोर्ट में कहा कि आवेदित खाता 2285 खेसरा 10324 सरकारी भूमि है, जो बीज विस्तार प्रदेश बिहार सरकार के नाम से दर्ज है। वर्तमान में उक्त खेसरा पर बीज विस्तार प्रदेश द्वारा गेहूं की फसल लगाई गई है।

    जमाबंदी 2461 पर खाता 2285 खेसरा 10324 के खतियान का कुल रकवा आनलाइन व आफलाइन सीताराम साह, पिता जयलाल साह के नाम से भी दर्ज है। एक ही भूमि के दो जमाबंदी धारी हैं, जो विवादस्पद हैं। जमाबंदी से विक्रेता का संबंध स्पष्ट नहीं है।

    वंशावली अप्राप्त है। क्रेता द्वारा सब जज चतुर्थ, मुजफ्फरपुर पश्चिमी के आदेश की प्रति उपलब्ध कराई गई है। यह आवेदन के साथ संलग्न नहीं है। भूमि पर क्रेता का दखल कब्जा नहीं है। वहीं राजस्व अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा हल्का कर्मचारी के प्रतिवेदन में आवेदित भूमि सरकारी खाते की है।

    अतः दाखिल-खारिज अधिनियम के तहत इसे खारिज किया जा सकता है। सीओ ने सभी बिंदुओं पर विचार के बाद जमीन के दाखिल-खारिज की स्वीकृति दी। सरकार के नाम से जमीन होने, क्रेता या विक्रेता का दखल-कब्जा नहीं होने, कर्मचारी व राजस्व अधिकारी की आवेदन को खारिज करने की अनुशंसा के बाद भी बिक्री की गई जमीन का दाखिल-खारिज होने के निर्णय पर सवाल उठ रहा है।

    मामला संज्ञान में आया है। इसमें कृषि पदाधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। एक कोर्ट से आदेश के बाद मामले में अपील करनी चाहिए थी, जो नहीं की गई। इस मामले में जिला कृषि पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है। मामले की ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए अपर समाहर्ता व सरकारी अधिवक्ता को कहा गया है। दाखिल-खारिज रद करने के लिए डीसीएलआर कोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया गया है।

    सुब्रत कुमार सेन, जिलाधकारी, मुजफ्फरपुर