मुजफ्फरपुर कृषि विभाग और कांटी अंचल कार्यालय की मिलीभगत से करोड़ों की सरकारी जमीन का खेल, रद होगी जमाबंदी
मुजफ्फरपुर के कांटी अंचल में कृषि विभाग की जमीन की अवैध बिक्री का मामला सामने आया है। डीएम ने दोषी अधिकारियों और अंचलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है। अंचल अमीन के निलंबन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उपमुख्यमंत्री के आदेश पर यह कार्रवाई हुई। जांच में पता चला कि अंचलाधिकारी ने गेहूं की फसल को परती बताकर जमीन का दाखिल-खारिज कर दिया था।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। कांटी अंचल की सरकार की करोड़ों की संपत्ति के खेल में जिला कृषि विभाग के पदाधिकारी एवं कर्मचारी और अंचलाधिकारी एवं अमीन का गठजोड़ सामने आया है। मामले की प्रारंभिक जांच के बाद डीएम सुब्रत कुमार सेन ने जिला कृषि विभाग के दोषी पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों और कांटी अंचलाधिकारी रिषिका के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा सरकार को भेज दिया है। वहीं अंचल अमीन पर भी निलंबन की कार्रवाई शुरू की जा रही है।
विदित हो कि कांटी अंचल के कांटी कसबा स्थित कृषि विभाग की 44 डिसमिल जमीन की बिक्री कर दी गई। यही नहीं जमाबंदी कायम करते हुए इसका दाखिल-खारिज भी कर दिया।
दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने पर उपमुख्यमंत्री एवं जिला के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने संज्ञान लेते हुए डीएम और एसएसपी को त्वरित कार्रवाई का आदेश दिया। डीएम ने मामले की जांच कराई। इसमें जिला कृषि विभाग के पदाधिकारी और अंचल अधिकारी को दोषी माना गया। इसके बाद उन्होंने सरकार को रिपोर्ट भेजकर दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा कर दी।
गेहूं लगी फसल को बताया परती:
कांटी अंचल के कांटी कसबा मौजा में कृषि विभाग की 22.77 एकड़ जमीन खतियान में दर्ज है। राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र में यहां वर्षों से कृषि विभाग की ओर से खेती की जा रही है। इस बीच खतियान में दर्ज बीज विस्तार प्रदेश की जमीन में से 44 डिसमिल का निबंधन पांच नवंबर 2024 को जिला अवर निबंधन कार्यालय से कर दिया गया।
सीतामढ़ी निवासी नवीन कुमार ने मोतीपुर के दीपक कुमार और कांटी निवासी गौरव कुमार को जमीन बेच दी। खरीदार ने दाखिल-खारिज को लेकर कांटी अंचल कार्यालय में आवेदन दिया गया। राजस्व कर्मचारी ने जमीन को बिहार सरकार के नाम से दर्ज बताया। साथ ही इसमें गेहूं की फसल लगी होने की बात कही। जमाबंदीधारी से विक्रेता का संबंध भी स्पष्ट नहीं होने की बात कही।
राजस्व अधिकारी ने कर्मचारी रिपोर्ट के आधार आवेदन को खारिज करने की अनुशंसा की, मगर मामले में अंचलाधिकारी के स्तर से बड़ा खेल कर दिया गया। उन्होंने अंचल अमीन से रिपोर्ट मंगवाई। अमीन ने गेहूं लगी फसल की रिपोर्ट को परती करार दिया। साथ ही बिहार सरकार के गृह विभाग की जगह विक्रेता के दखल-कब्जा को पुष्ट कर दिया। इसको आधार बनाकर अंचलाधिकारी ने जमीन का दाखिल-खारिज कर दिया।
जांच में यह बात सामने आई कि उसे सरकारी जमीन को बचाने का प्रयास करना चाहिए था। इसकी जगह अंचलाधिकारी ने सरकार की जमीन को गलत तरीके से रैयती बना दिया।
यह इसलिए भी इसी जमीन की मापी का आवेदन कृषि विभाग की ओर से मिलने के बाद अमीन ने वहां रास्ता नहीं होने के कारण मापी करने से इन्कार करते हुए रिपोर्ट दी थी। दूसरी ओर कृषि विभाग के पदाधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से विभाग की जमीन को बचाने का
रद की जाएगी जमाबंदी:
दाखिल-खारिज की गई 44 डिसमिल जमीन की जमाबंदी अपर समाहर्ता के स्तर से रद की जाएगी। इसके लिए पहले डीसीएलआर पश्चिमी के स्तर से दाखिल-खारिज को रद किया जाएगा। कृषि विभाग की ओर से इसके लिए प्रक्रिया शुरू की जानी है।
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