Muzaffarpur News: सेवानिवृत्त पंचायत सचिव की पेंशन से तीन वर्षों तक प्रतिमाह 10% कटौती, इन आरोपों पर हुई कार्रवाई
मुजफ्फरपुर के मीनापुर में सरकारी योजनाओं में लाखों रुपये के गबन के आरोप में सेवानिवृत्त पंचायत सचिव कृष्ण कुमार त्रिवेदी पर डीएम ने पेंशन से 10% कटौती का दंड लगाया है। यह कार्यवाही 2017 से चल रहे एक मामले पर आधारित है जिसमें उन पर सरकारी राशि का गबन लापरवाही और अभिलेखों का प्रभार नहीं देने जैसे आरोप शामिल हैं। जांच में आरोप सही पाए गए।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। सरकारी राशि का गबन करने, विभागीय कार्यों में लापरवाही बरतने व प्रभार नहीं देने के मामले में सेवानिवृत्त पंचायत सचिव (पंस) कृष्ण कुमार त्रिवेदी पर दंड अधिरोपित किया गया है।
डीएम सुब्रत कुमार सेन ने रिपोर्ट के आधार पर अगले तीन वर्षों से प्रतिमाह पंस की पेंशन राशि से 10 प्रतिशत कटौती का दंड लगाया है। यह मामला वर्ष 2017 से चल रहा है। वर्ष 2018 में वे सेवानिवृत्त हो गए थे।
कार्य अवधि में उन पर विभिन्न मामलों में 10 आरोप लगे। इस पर उन्हें निलंबित करते हुए प्रपत्र गठित कर विभागीय कार्यवाही शुरू की गई। संचालन पदाधिकारी अपर समाहर्ता, विभागीय जांच व उपस्थापन पदाधिकारी मीनापुर प्रखंड विकास पदाधिकारी को नियुक्त किया गया।
इसकी तिथिवार सुनवाई व पंस से स्पष्टीकरण पूछा गया, लेकिन उनका जवाब संतोषजनक नहीं मिला और उन पर लगे आरोप सही साबित हुए। इसी आधार पर जांच पदाधिकारियों ने डीएम को रिपोर्ट सौंपी। इसपर उक्त कार्रवाई की गई।
बताया गया कि मीनापुर से तबादला होने के बाद पारू प्रखंड में वे कार्यरत थे। इस दौरान कई अभिलेखों का प्रभार नहीं दिया था। कई बार इसे लेकर वरीय पदाधिकारियों के स्तर से उन्हें निर्देशित किया गया। इसके बाद भी संज्ञान नहीं लिया। इसके अलावा आरोप था कि वे कभी कार्यालय नहीं आते थे और विभागीय कार्यों में रुचि नहीं लेते थे। इसकी भी जांच में पुष्टि हुई।
लाखों रुपये का भी किया था गबन
मानिकपुर पंचायत में विभिन्न जगहों पर चापाकल लगाने का कार्य कराया गया। इसकी प्राक्कलित राशि छह लाख 99 हजार 700 रुपये थी। वहीं, भुगतान छह लाख पांच हजार किया गया। अभिकर्ता के नाम की जगह पंचायत सचिव कृष्ण कुमार त्रिवेदी का नाम अंकित पाया गया।
इसी प्रकार अन्य योजनाओं में हेराफेरी की गई और सभी में अभिकर्ता के नाम की जगह पंस का नाम पाया गया। आनंदी ठाकुर के घर से कैलाश सिंह के घर तक पीसीसी कार्य में करीब दो लाख 45 हजार रुपये का गबन किया गया। जांच में उक्त सभी आरोपों की पुष्टि हुई।
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