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    Muzaffarpur : नगर विकास विभाग जाकर अटक जाती है शहर के विकास की योजनाएं

    By Pramod Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Mon, 15 Dec 2025 10:04 PM (IST)

    Bihar Latest News : मुजफ्फरपुर शहर की विकास योजनाएं नगर विकास विभाग में अटकी हुई हैं, जिससे शहरवासियों को समय पर लाभ नहीं मिल पा रहा है। निगम के प्रशा ...और पढ़ें

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर । शहर की विकास योजनाएं नगर विकास विभाग में जाकर अटक जाती है। योजना का प्रस्ताव हो या योजना के क्रियान्वयन पर विभागीय स्वीकृति की बात, महीनों लग जाता है। कई योजनाएं तो छह-छह माह से लटकी हुई है जिससे शहरवासियों को समय पर योजना का लाभ नहीं मिल पाता।

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    नगर निगम के बहुमंजिले प्रशासनिक भवन के निर्माण का प्रस्ताव छह माह पहले स्वीकृति के लिए नगर विकास विभाग में भेजा गया था। लेकिन आज तक उसको स्वीकृति नहीं मिली। निगम कार्यालय आज भी सालों पूर्व बने पुराने भवन में चल रहा है, जहां सुविधाओं की भारी कमी है।

    वहीं नगर निगम सशक्त स्थायी समिति एवं नगर निगम बोर्ड की स्वीकृति के बाद बाबा गरीबनाथ धाम कारिडोर निर्माण का प्रस्ताव भी छह माह पूर्व नगर विकास को भेजा गया था। लेकिन यह प्रस्ताव भी विभाग के पांच फंसी हुई है।

    रौतनिया स्थित कचरा डंपिंग स्थल पर सालों से जमा कचरे के निष्पादन की योजना भी चार माह से विभाग के अटकी हुई है। कचरे का निष्पादन नहीं होने से जमा कचरा लोगों को परेशान कर रहा है। इतना ही नहीं कचरे के निष्पादन के बाद वहां सिटीज 2.0 योजना को आगे बढ़ाने में बाधा आ रही है।

    कई स्वीकृत योजनाएं जिनका टेंडर भी हो चुका है अब जमीन पर उतरने के लिए बस विभाग के हरी झंडी का इंतजार है। विभाग का हरी झंडी नहीं मिलने से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

    ऐसी योजनाओं में 2.62 करोड़ की लागत से घिरनी पोखर के जीर्णोद्धार की योजना, 13.67 करोड़ की लागत से नगर निगम आडिटोरियम के निर्माण की योजना आदि शामिल है। योजना की स्वीकृति के लिए निगम के अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे है फर नगर विकास विभाग में विभिन्न स्तरों पर फंसी योजनाओं को हरी झंडी नहीं मिल रही है।

    नगर निगम सशक्त स्थायी समिति सदस्य राजीव कुमार पंकू, उमा पासवान एवं अभिमन्यु कुमार, वार्ड पार्षद अर्चना पंडित आदि ने कहा कि योजना को पास करने से लेकर अंतिम स्वीकृति तक का अधिकार नगर निगम के अधिकारियों को मिलनी चाहिए। विभाग विभिन्न स्तरों पर योजनाओं को अटका कर छोड़ देता है। इससे जनता को समय पर इसका लाभ नहीं मिल पाता।