मातृ मृत्यु आंकड़े अपडेट करने में मुजफ्फरपुर पिछड़ा, सेवाओं में सुधार के लिए योजना तैयार करने में हो रही परेशानी
मुजफ्फरपुर में मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों को अपडेट करने में लापरवाही बरती जा रही है जिससे स्वास्थ्य विभाग चिंतित है। जुलाई 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार जिले में मातृ मृत्यु दर 27.7% है। सही आंकड़ों के अभाव में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने में कठिनाई हो रही है। लापरवाह डाटा ऑपरेटरों पर कार्रवाई की जाएगी ताकि मुजफ्फरपुर न्यूज़ में सुधार हो।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मातृ- मृत्यु आंकड़ा अपडेट करने में मुजफ्फरपुर पिछड़ रहा हैं। इस पर विभाग गंभीर है। राज्य स्तर पर समीक्षा के बाद जुलाई 2025 तक जारी रिपोर्ट के अनुसार बिहार में कुल 1021 मामलों की समीक्षा में 293 मातृ मृत्यु दर्ज की गई है, जो 28.7 प्रतिशत है।
इसमें मुजफ्फरपुर जिले की स्थिति चिंताजनक है। यहां पर अब तक 47 मामलों की प्रविष्टि की गई, जिनमें 13 मातृ मृत्यु दर्ज हुई है। इस प्रकार मातृ मृत्यु की प्रतिशतता 27.7 रही। राज्य के अन्य जिलों जैसे पटना 83.7 प्रतिशत, दरभंगा 72.4 प्रतिशत और अरवल 71.4 प्रतिशत है।
मुजफ्फरपुर से अपेक्षाकृत अधिक आंकड़े दर्ज कर मातृ मृत्यु दर को स्पष्ट किया है। विभाग का मानना हैं कि जब तक पूरे आंकड़ों का सही-सही संकलन नहीं होगा, तब तक मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए जा सकेंगे।
लापरवाह डाटा आपरेटर पर होगी सख्ती
सिविल सर्जन डा.अजय कुमार ने कहा कि राज्य स्तर पर समीक्षा में डाटा अपडेट नहीं होना गंभीर मामला है। सभी पीएचसी प्रभारी के साथ समीक्षा होगी। कहा कि जब तक पूरे आंकड़ों का सही-सही संकलन नहीं होगा, तब तक मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाने में परेशानी होगी। जिस डाटा आपरेटर की लापरवाही सामने आएगी। उसके पर सख्त एक्शन होगा।
स्वास्थ्य केंद्रों के अपग्रेडेशन में भाड़े का मकान बाधा
मुजफ्फरपुर : जिले में स्वास्थ्य केंद्रों के अपग्रेडेशन की प्रक्रिया भाड़े के मकानों के कारण बाधित हो रही है। राज्यस्तर पर हुई समीक्षा में जिले की स्थिति गंभीर बताई गई है। यहां कुल 356 सरकारी भवनों के मुकाबले 169 स्वास्थ्य केंद्र अभी किराये के मकानों में संचालित हो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार जिलास्तर पर पहल करने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भवन निर्माण व अपग्रेडेशन की योजना पर जोर दिया जा रहा है। विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 36 जिला अस्पताल, 115 उपविभागीय अस्पताल, 270 सीएचसी और 236 पीएचसी संचालित हैं।
वहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में अपग्रेड करने की प्रक्रिया काफी धीमी है। अब तक 1244 पीएचसी का अपग्रेडेशन हो चुका है, जबकि 227 अभी शेष हैं। सबसे बड़ी समस्या भवनों की उपलब्धता की है।
राज्य में कुल 6290 स्वास्थ्य केंद्र सरकारी भवनों में तो चल रहे हैं, लेकिन 4331 स्वास्थ्य केंद्र किराये या वैकल्पिक भवनों में संचालित हो रहे हैं। इसका असर ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है।
जिला स्वास्थ्य प्रबंधक रेहान अशरफ ने बताया राज्य स्तर से मिली रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी। सभी पीएचसी प्रभारियों को स्थानीय प्रशासन से समन्वय बना ज़मीन की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। कई जगहों पर ज़मीन चिह्नित की जा चुकी है और उसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाएगी। ज़मीन जहां पर चिह्नित है वहां भवन का निर्माण कराया जाएगा।
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