Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Muzaffarpur Govt School: सरैया के एक स्कूल की छत टूटकर गिर रही, बावजूद प्रशासन की ओर से कोई काम नहीं हो रहा

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 05:23 PM (IST)

    Kitne Surakshit Hain School सरैया प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय पैगंबरपुर में उच्च माध्यमिक का दर्जा मिलने के बाद भी भवन नहीं बना है। इसकी वजह से यहां नामांकित बच्चे जर्जर भवन में पढ़ाई कर रहे हैं। इसकी वजह से हमेशा हादसे का डर रहता है। अभिभावक बच्चों की पढ़ाई की जगह उनकी सुरक्षा की चिंता करते हैं।

    Hero Image
    खंडहर में तब्दील उच्च माध्यमिक विद्यालय पैगंबरपुर का आधा हिस्सा। जागरण

    मनोज कुमार राय, सरैया (मुजफ्फरपुर)। Muzaffarpur Govt School infrastructure / Muzaffarpur school building condition: पहले मध्य फिर माध्यमिक और अब उच्च माध्यमिक का दर्जा मिल गया, लेकिन विद्यालय की बुनियाद पर विभाग का ध्यान नहीं गया।

    पंचायत स्तर पर उच्च माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था करनी थी, कोरम पूरा कर दिया गया। बच्चे पढ़ेंगे कहां, इसकी चिंता किसी ने नहीं की। पुराने जर्जर भवन की छत आए दिन टूटकर गिर रही है। यह दीगर बात है कि इसकी धमक अधिकारियों को सुनाई नहीं पड़ती।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जर्जर भवन में चल रहे सरैया प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय पैगंबरपुर की सबसे बड़ी पीड़ा यही है। जान जोखिम में डालकर बच्चे पढ़ाई करने को विवश हैं। जर्जर भवन हादसे को आमंत्रित कर रहा है। किसी भी समय अनहोनी घटना हो सकती है। शिक्षक व छात्र-छात्राएं हमेशा दहशत में रहते हैं। पेयजल और शौचालय की सुविधा की बात बेमानी ही है।

    बताया जाता है कि वर्चस्व की लड़ाई व ठेकेदारी को लेकर हुए विवाद के कारण वर्ष 2013 में विद्यालय का भवन निर्माण नहीं हो सका। 22 लाख रुपये वापस हो गए थे। परिणाम यह कि विद्यालय पुराने खपरैल मकान के आधे भाग में चलता है। शेष हिस्से का छप्पर उड़ चुका है।

    इसके अलावा विद्यालय परिसर में तीन कमरों का एक और पक्का भवन है, लेकिन इसकी भी हालत खराब है। बरसात में छत से पानी टपकता है। कुछ हिस्से में छत गिर चुकी है। शेष में प्लास्टर झड़ रहे हैं। छत कब टूटकर गिर जाए, कहा नहीं जा सकता।

    विद्यालय में सिर छिपाने को पर्याप्त जगह नहीं है, लेकिन वर्ग एक से आठ तक 300 बच्चे नामांकित हैं। इंटर में 18 बच्चों का नामांकन है। वर्ष 1972 में अस्तित्व में आए इस विद्यालय में वर्ग एक से आठ के लिए 10 शिक्षक है।

    महज तीन कमरों में 300 बच्चों को पढ़ाया जाता है। बच्चों के खेलकूद का कोई संसाधन तक उपलब्ध नहीं है। विडंबना तो यह है कि इंटरस्तरीय स्कूल का दर्जा मिल जाने के बाद न शिक्षक की पोस्टिंग हुई और न क्लास रूम की व्यवस्था।

    विद्यालय की समस्याओं के विरुद्ध विभाग को लिखा गया है। भवन निर्माण के लिए भी पत्राचार किया गया है। मूलभूत सुविधाओं के लिए विद्यालय स्तर से प्रयास किया जा रहा है।

    लोकमान्य, प्रधानाध्यापक (वित्तीय प्रभार)