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    Muzaffarpur Election 2025: तेजी से बदलने लगे मुजफ्फरपुर जिले के चुनावी समीकरण, भितरघात का भी डर

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 03:02 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर में छठ पूजा के साथ चुनावी माहौल गरमा गया है। उम्मीदवारों को प्रचार के लिए कम समय मिलने से डैमेज कंट्रोल मुश्किल हो रहा है। एनडीए कुनबा बढ़ा रहा है, तो महागठबंधन 'माय' समीकरण पर टिका है। भितरघात का डर सभी दलों को सता रहा है। लोजपा के साथ आने से समीकरण बदलने की उम्मीद है। सबकी निगाहें अब मोदी और तेजस्वी की रैलियों पर टिकी हैं।

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    तेजी से बदलने लगे मुजफ्फरपुर जिले के चुनावी समीकरण, भितरघात का भी डर

    प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। छठ महापर्व की शुरुआत के साथ जिले की चुनावी सरगर्मी भी तेज हो गई है। नामांकन के बाद उम्मीदवारों को प्रचार का अपेक्षाकृत कम समय मिला है। इस कारण कई सीटों पर डैमेज कंट्रोल करने में सभी दलों का पसीना छूट रहा है। समीकरण संतुलन का भी प्रयास हो रहा है। इस कड़ी में एनडीए ने अपने कुनबे को बढ़ाया है।

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    राजद के गणेश भारती जहां जदयू में वापस आ गए वहीं वीआईपी के प्रवक्ता ईं. राजेश सहनी, प्रदेश उपाध्यक्ष रंजीत सहनी, जिलाध्यक्ष महावीर सहनी आदि नेता भाजपा में शामिल हो गए। सवर्ण के साथ सबसे अधिक ओबीसी वोटों पर ही एनडीए की नजर है।

    इस बार विधानसभा चुनाव में वीआईपी के शामिल होने से माय (मुस्लिम यादव) समीकरण के साथ राजद और आईएनडीआईए मजबूती का दावा कर रहा है। दूसरी ओर, यह भी देखा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भी वीआईपी आईएनडीआईए के साथ था, मगर उसे किसी भी विधानसभा में बढ़त नहीं मिली। यहां तक कि कांटी में भी बड़ा अंतर रहा।

    लोकसभा के समीकरण के आधार पर विधानसभा चुनाव में जीत-हार का गुना-भाग लगाया तो जा रहा है, मगर दलों को भितरघात का सबसे बड़ा डर सता रहा है। खासकर भाजपा में यह स्थिति अधिक है।

    एक उम्मीदवार तो यह माना रहा कि विपक्ष से अधिक उसे पार्टी से ही लड़ना पड़ रहा है। संगठन से अपेक्षित मदद नहीं मिल रही। ऐसे भाजपा नेताओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 30 अक्टूबर को मोतीपुर की चीनी मिल में होने वाली सभा से उम्मीद है। वहीं, आईएनडीआईए की ओर से अब तक बड़ा चेहरा तेजस्वी यादव ही यहां सभा कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी या दूसरे वरीय नेताओं की मौजूदगी अब तक नहीं होने से संशय की स्थिति है।

    लोजपा के साथ आने से कई सीटों के समीकरण बदलने की उम्मीद:

    पिछले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर लोजपा के अलग चुनाव लड़ने से जदयू को तीन सीटों पर नुकसान पहुंचा था। मीनापुर, कांटी और गायघाट में इसबार वैसी स्थिति नहीं दिख रही है। मीनापुर में जदयू ने भाजपा से उम्मीदवार लेकर अजय कुमार को उतारा है।

    पिछली बार वह और मनोज किसान 40-40 हजार से अधिक वोट लाकर राजद के मुन्ना यादव की जीत तय कर दी थी। इस बार सीधी लड़ाई है। अगर भितरघात नहीं हो तो परिणाम बदल भी सकता है।

    यही स्थिति कांटी में भी है। गायघाट में भी यह स्थिति बनती, मगर जदयू के एक खेमे के विरोध से एनडीए के वोटों में सेंधमारी हो रही है। इसके बावजूद जदयू के नेता मान रहे कि पिछले चुनाव की एक सीट से उसकी संख्या बढ़ेगी।