वियतनाम के नंबर से मुजफ्फरपुर डीएम के नाम का फिर बनाया फर्जी वाट्सएप, पदाधिकारियों को किया गया अलर्ट
मुजफ्फरपुर के डीएम के नाम से वियतनाम के एक नंबर से फिर से फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाया गया है। इस घटना के बाद सभी पदाधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है ...और पढ़ें
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डीएम के नाम से बनाया फर्जी वॉट्सएप
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। साइबर फ्राड गिरोह के शातिरों ने फिर डीएम सुब्रत कुमार सेन के नाम से फर्जी वाट्सएप बनाया है। इसपर उनकी तस्वीर लगाई गई है और नाम भी लिखा गया है। यह वाट्सएप 84589267391 नंबर से बनाया गया है।
यह 11 अंकों का नंबर ट्रू कालर पर सर्च करने पर वियतनाम का दिखा रहा है। इसके माध्यम से फ्राड कई अधिकारियों और लोगों को मैसेज भेज रहा है। गोपनीय सूचना और दस्तावेज मांगने की भी बात सामने आई है।
फर्जी वाट्सएप प्रोफाइल बनाए जाने की सूचना प्रशासन को प्राप्त हुई है। इस संबंध में डीएम ने स्पष्ट किया है कि उक्त मोबाइल नंबर अथवा उससे संचालित कोई भी प्रोफाइल उनका अधिकृत संपर्क माध्यम नहीं है। सभी को अलर्ट किया गया है।
कहा गया है कि अगर इस नंबर से कोई भी मैसेज अथवा काल आए तो तुरंत इसे ब्लाक करें और साइबर हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर जानकारी दें। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी कार्यालय से जारी होने वाले सभी आधिकारिक निर्देश केवल अधिकृत सरकारी माध्यमों, आधिकारिक पत्र, ई-मेल अथवा सत्यापित मोबाइल नंबरों के माध्यम से ही प्रेषित किए जाते हैं।
किसी भी व्यक्तिगत वाट्सएप नंबर के माध्यम से गोपनीय सूचना की मांग या प्रशासनिक आदेश जारी नहीं किए जाते हैं। इससे सभी को सतर्क रहने को कहा गया है। जिला प्रशासन द्वारा साइबर सेल एवं संबंधित एजेंसियों को मामले की जांच कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही आमजनों से अपील की गई है कि वे साइबर अपराधों से सतर्क रहें और किसी भी प्रकार की अफवाह या असत्य सूचना को आगे प्रसारित न करें।
पूर्व में भी फर्जी वाट्सएप नंबर से मांग रहा था रुपये
विदित हो कि पिछले वर्ष भी डीएम के नाम से फर्जी वाट्सएप प्रोफाइल बनाकर अधिकारियों से रुपये की मांग की जा रही थी। उस समय भी वियतनाम के नंबर से ही फर्जी प्रोफाइल बनाने का पता लगा था, लेकिन साइबर सेल की टीम इसका पता नहीं कर सकी।
इसके अलावा पिछले दिनों जिला पंचायती राज पदाधिकारी के नाम से फर्जी काल कर कई सरपंचों के खाते से राशि उड़ाने का भी मामला सामने आ चुका है। इसी प्रकार जिला बंदोबस्त पदाधिकारी के नाम से इंटरनेट मीडिया पर फर्जी आइडी बनाकर भी रुपये मांगे गए थे। हालांकि इन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

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