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    मुजफ्फरपुर : वर्षा जल संचय के लिए गलियों का पेवर ब्लॉक से निर्माण जरूरी

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Tue, 06 Apr 2021 09:34 AM (IST)

    गलियों के पीसीसी निर्माण से जमीन में नहीं जा पाता बारिश का पानी। घरों एवं दफ्तरों के बाहरी परिसर मुख्य सड़क के किनारे भी कंक्रीट की जगह हो पेवर ब्लॉक का इस्तेमाल। पक्की नालियां बनाने के दौरान कुछ-कुछ दूरी पर सोख्ता का निर्माण किया जाना चाहिए।

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    कच्ची नाली-गली पक्कीकरण योजना में सुधार करना चाहिए।

    मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। पहले शहर की गलियां, घरों एवं दफ्तरों का बाहरी परिसर, मुख्य सड़कों का फ्लैंक कच्चा होता था, तब बारिश का पानी जमीन सोख लेता था और भू-जल स्तर रिचार्ज हो जाता था, लेकिन अब शहर की अधिकांश गलियां पक्की हो गई हैं। जो बची हैं उनका भी तेजी से पक्कीकरण हो रहा है। घरों एवं दफ्तरों के बाहरी परिसर को सुंदर दिखने के लिए पक्का किया जा रहा है। मुख्य सड़कों के फ्लैंक को भी पक्का किया जा रहा है। इसका नतीजा यह है कि बारिश का पानी जमीन तक नहीं पहुंच पा रहा है। सारा पानी पक्की नालियों से होकर शहर से बाहर निकल जा रहा है और शहरी इलाके का भू-जल रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। जबकि पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही संस्थाओं का मानना है कि शहर की सभी कच्ची गलियों को पीसीसी की जगह पेवर ब्लॉक से निर्माण जरूरी है। इससे सड़क भी चलने लायक हो जाएगी और बारिश के पानी का जमीन से संपर्क बना रहेगा। इतना ही नहीं गलियों में महीनों होने वाला जलजमाव भी अधिक दिनों तक नहीं रहेगा। 'ऑक्सीजन' के चेयरमैन संजय कुमार केजरीवाल ने कहा कि पहले हम जमीन से जितना पानी निकालते थे वह वर्षा जल के संचय होने से पूरा हो जाता था, लेकिन विकास की दौड़ में इस बात को भूल गए। लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। शासन-प्रशासन इस बात को गंभीरता से ले तो हम भू-जल स्तर में आ रही गिरावट का रोक सकते हैं। गलियों के निर्माण की नीति में बदलाव लावा होगा। 

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    इस संबंध में समाजसेवी शेखर कुमार ने कहा कि सरकार को अपने कच्ची नाली-गली पक्कीकरण योजना में सुधार करना चाहिए। गलियों को पेवर ब्लॉक से निर्माण को अनिवार्य किया जाना चाहिए। पक्की नालियों के निर्माण के दौरान कुछ-कुछ दूरी पर सोख्ता का निर्माण किया जाना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे रवि कपूर ने कहा कि वर्षा जल संचय को शहर के सभी स्कूल एवं कॉलेजों में रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जाए। सरकार इसके लिए स्कूल एवं कॉलेज प्रबंधन को प्रोत्साहित करे। बच्चों को भी वर्षा जल संरक्षण को प्रेरित करे।