Monsoon 2025: उत्तर बिहार में अभी नहीं बरसेगा मानसून, मौसम विभाग ने दिया बारिश को लेकर ताजा अपडेट
उत्तर बिहार में मानसून की अच्छी वर्षा के लिए अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा, अगले दो दिनों तक हल्की बारिश की संभावना है, जबकि 30 जून से 1 जुलाई के बीच मध्यम वर्षा हो सकती है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को धान की नर्सरी लगाने, रोपाई करने और सीधी बुवाई के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।

संवाद सहयोगी, पूसा। उत्तर बिहार के लोगों को फिलहाल मानसून (Monsoon 2025) की अच्छी वर्षा के लिए कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए. सत्तार ने बताया कि अगले 2 दिनों तक क्षेत्र में अच्छी वर्षा की संभावना नहीं है। कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन व्यापक स्तर पर वर्षा की उम्मीद नहीं है।
हालांकि 30 जून से 1 जुलाई के बीच पूर्वी और पश्चिमी चंपारण सहित उत्तर बिहार के कई क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान 32 से 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।
पूर्वानुमान के अनुसार, अगले दो दिनों तक पूर्वी हवाएं 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं, इसके बाद पछिया हवा का प्रभाव रहेगा। मौसम की इस स्थिति को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं।
उन्होंने कहा है कि जिन किसानों ने अभी तक धान की नर्सरी नहीं गिराई है, वे शीघ्र इस कार्य को पूरा करें। उत्तर बिहार के लिए प्रभात, धनलक्ष्मी, रिछारिया, साकेत-4, राजेन्द्र भगवती और राजेन्द्र नीलम जैसी अगात किस्में उपयुक्त मानी गई हैं। एक हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए लगभग 800 से 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बीज गिराया जाना चाहिए।
साथ ही, बीजों का बविस्टिन दवा से उपचार करना भी जरूरी बताया गया है। जिन किसानों के पास नर्सरी तैयार है, वे नीची और मध्यम जमीन में सिंचाई कर धान की रोपनी शुरू कर सकते हैं। उर्वरकों का उपयोग मिट्टी जांच के आधार पर करने की सलाह दी गई है, ताकि फसल को आवश्यक पोषण मिल सके।
वहीं, वे किसान जो अगात और मध्यम अवधि की किस्मों की सीधी बुवाई करना चाहते हैं, उनके लिए भी वैज्ञानिकों ने मार्गदर्शन दिया है। उन्होंने बताया कि यदि खेत सूखा है, तो सीड ड्रिल मशीन या छिटकाव विधि से बुवाई की जा सकती है। ऐसी स्थिति में बुवाई के 48 घंटे के अंदर पेन्डिमेथीलीन नामक खरपतवारनाशी का छिड़काव करें।
यदि बुवाई के बाद बारिश हो जाए, तो इस दवा का उपयोग न करें, बल्कि 10 से 15 दिनों के बाद नामिनी गोल्ड दवा का छिड़काव करें।
मौजूदा मौसम को देखते हुए वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि जहां हल्की वर्षा हुई है, वहां ऊंची जमीन पर सूर्यमुखी की बुआई करना लाभकारी हो सकता है। इसके लिए मोरडेन, सुर्या, सीओ-1 और पैराडेविक जैसी किस्मों को अपनाने की सलाह दी गई है।
साथ ही, खेत में कंपोस्ट, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और गंधक की उचित मात्रा में उपयोग करने की भी सिफारिश की गई है। इसके अतिरिक्त, पशु चारा के लिए ज्वार, बाजरा और मक्का की बुआई की सलाह दी गई है। साथ ही, मेथी, लोबिया और राइस बीन जैसी फसलों की बुआई भी पशु चारा के रूप में की जा सकती है।
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