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    MGNREGA News: मनरेगा में अब बनेगी बायोमेट्रिक हाजिरी, फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 09:33 PM (IST)

    बिहार में मनरेगा योजना के तहत अब बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य होगी। इस नई प्रणाली का उद्देश्य योजना में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकना है। बायोमेट्रिक प ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मनरेगा मजदूरों की हाजिरी में लगातार फर्जीवाड़ा पर अब रोक लग जाएगी। सभी मजदूरों का ई-केवाईसी का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके बाद सभी मजदूरों की बायोमेट्रिक हाजिरी बनेगी। सभी प्रखंडों में यह कार्य किया जा रहा है। मजदूरों को बुलाकर प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी और मनरेगा कर्मी ई-केवाईसी करा रहे हैं।

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    जिले में अब तक 56 प्रतिशत मजदूरों का ई-केवाईसी करा दिया गया है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा अमित कुमार ने बताया कि जिले में तीन लाख 76 हजार मजदूरों की संख्या है। दिसंबर तक शत प्रतिशत ई-केवाईसी का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। समीक्षा के दौरान पाया गया कि औराई, गायघाट, बंदरा, मुरौल और पारू प्रखंड का प्रदर्शन बेहतर नहीं है।

    इसपर संज्ञान लेते हुए सभी संबंधित प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी और कर्मियों से स्पष्टीकरण पूछा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इन सभी पदाधिकारी और कर्मियों को ई-केवाईसी के कार्य में तेजी लाने को कहा गया है। इसकी नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है और प्रखंडों से प्रतिदिन की रिपोर्ट ली जा रही है।

    नहीं होगा मशीन का इस्तेमाल, मोबाइल से बनेगी हाजिरी:

    डीपीओ ने बताया कि बायोमेट्रिक हाजिरी के लिए मशीन का उपयोग नहीं किया जाएगा। पंचायत रोजगार सेवक एंड्रायड मोबाइल से बायोमेट्रिक एप के माध्यम से ही इनकी हाजिरी बनाएंगे। वैसे ही मजदूरों की हाजिरी बनेगी जिनका जाब कार्ड, आधार कार्ड से लिंक होगा। ऐसी स्थिति में कोई भी मजदूर दो जगह अपनी हाजिरी नहीं बना पाएंगे। विभाग की ओर से दावा किया जा रहा है कि इससे फर्जीवाड़ा पर पूरी तरह रोक लगेगी।

    एक ही तस्वीर अपलोड कर करते थे राशि की निकासी:

    मुजफ्फरपुर से लेकर भागलपुर तक मनरेगा में फर्जीवाड़ा के कई मामले सामने आ चुके हैं। कर्मियों की मिलीभगत से एक ही मजदूरों का बार-बार फोटो अपलोड कर राशि की निकासी कर ली गई थी। एक ही मजदूर की तस्वीर को कई स्थानों पर काम करते हुए दिखाकर अपलोड कर राशि निकाल ली जाती थी। इसके अलावा मशीन से काम करवाकर मजदूरों की पुरानी तस्वीर का उपयोग कर राशि निकालने का मामला भी मुजफ्फरपुर में सामने आ चुका है।