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    मुजफ्फरपुर में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का लाभ या दलालों का खेल? हर मोड़ पर उठता सवाल

    By Ajit Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 11:15 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर के बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के नाम पर बिचौलिए सक्रिय हैं, जो छात्राओं और अभिभावकों को फोन कर ठग रहे हैं ...और पढ़ें

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर । बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का लाभ दिलाने के लिए बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं। छात्राओं और उनके अभिभावकों को फोन किया जा रहा है।

    पोर्टल पर नया नाम जोड़ने या किसी तरह के संशोधन के लिए बिचौलिए छात्राओं और अभिभावकों को जाल में फंसाने के लिए फोन कर रहे हैं। जबकि विभाग की ओर से अभी तक पोर्टल खोलने को लेकर कोई सूचना नहीं दी गई है। कई छात्राएं जानकारी के लिए विश्वविद्यालय पहुंच रही हैं।

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    ऐसे में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसको लेकर नोटिस जारी किया है। इसमें छात्राओं को इससे बचने के लिए कहा गया है। डीएसडब्ल्यू कार्यालय के बाहर नोटिस चिपकाया गया है। इसमें कहा गया कि विभाग की ओर से पोर्टल खोले जाने पर कालेज के माध्यम से छात्राओं को सूचना मिलेगी।

    विदित हो कि स्नातक सत्र 2021-24 तक की छात्राओं को मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का लाभ मिलना है। इसके लिए पहले आनलाइन आवेदन होना है। इसके लिए विभाग ने योजना का नया पोर्टल लांच किया है।

    इस पर विश्वविद्यालय की ओर से स्नातक उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं का डाटा अपलोड किया जाता है। जिन छात्राओं का रिजल्ट क्लियर नहीं था, उनका नाम पोर्टल पर नहीं जुड़ा। इसके अलावा कई छात्राओं के पिता के नाम या अन्य विवरण में गड़बड़ी थी, जिसमें सुधार के लिए साक्ष्य जमा करने को कहा गया था।

    बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न सत्र की एक लाख से अधिक छात्राओं का नाम पोर्टल पर अपलोड किया गया है। विभिन्न कारणों से हजारों छात्राओं का नाम नहीं जुड़ा है। अब नई सरकार बनने के बाद एक बार फिर से छात्राओं के साथ अभिभावकों की भीड़ आनी शुरू हो गई है।

    डीएसडब्ल्यू कार्यालय में जानकारी के लिए छात्राओं के साथ अभिभावक भी पहुंच रहे हैं। सीतामढ़ी, मोतिहारी, वैशाली से विवि पहुंची कई छात्राओं ने बताया कि कालेज से किसी ने नाम जुड़वाने के लिए पांच हजार रुपए की डिमांड की थी, इसलिए विश्वविद्यालय आई हैं। विवि की ओर से कहा गया कि किसी भी तरह के झांसे में न फंसे।