माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की किस्तों में जा रही 'जान', कर्ज के बोझ तले टूटते परिवार; डर से घर छोड़ भाग रहे मासूम
मुजफ्फरपुर के सकरा में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से कर्ज के दबाव में परिवार टूट रहे हैं। नवलपुर मिश्रोलिया गांव में सामूहिक आत्महत्या के बाद, मार्च में ...और पढ़ें

माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की किस्तों में जा रही जान
संवाद सहयोगी, सकरा। सकरा के नवलपुर मिश्रोलिया गांव में तीन बेटियों के साथ एक पिता ने फांसी लगाकर सामूहिक आत्महत्या की घटना को अंजाम दे दिया। इस हृदय विदारक घटना के बाद अब इसी साल मार्च के महीने में एक दंपती के आत्महत्या करने के मामले को भी जांच के दायरे में लाया गया है।
सकरा के बाजीद गांव में 4 मार्च 2024 की सुबह पेड़ से लटके मिले दंपती शिवनाथ दास और उनकी पत्नी भूखली देवी की आत्महत्या का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। नवलपुर मिश्रौलिया गांव में हाल ही में हुई चार लोगों की मौत के बाद जब पुलिस के वरीय अधिकारी सक्रिय हुए तो पुराने मामलों की फाइलें भी खुलने लगीं।
इस मामले में मृत दंपती के पुत्र रामबाबू दास ने सकरा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में रामबाबू दास ने आरोप लगाया था कि उनके माता-पिता के आधार कार्ड को तीन बार बदलवाकर विभिन्न माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से जबरन कर्ज दिलवाया गया।
किस्त के लिए बना रहे दबाव
आरोप के अनुसार आशीर्वाद फाइनेंस कंपनी से 40 हजार रुपये, डबारा कंपनी से 50 हजार रुपये, बीएसएस माइक्रो फाइनेंस कंपनी से 30 हजार रुपये तथा कोटक महिंद्रा फाइनेंस कंपनी से 41 हजार रुपये का लोन दिलाया गया। स्वजनों का कहना है कि लोन देने के बाद कंपनियों के एजेंट लगातार किस्त के लिए दबाव बनाते थे।
मानसिक प्रताड़ना का आलम यह था कि घटना के एक दिन पूर्व 3 मार्च 2024 को कथित तौर पर कंपनी के लोग घर पहुंचकर सामान तक फेंक गए थे। इसी अपमान और दबाव से टूटकर अगले ही दिन शिवनाथ दास और भूखली देवी ने आत्महत्या कर ली।
प्राथमिकी में एक एजेंट राजीव कुमार सिंह का नाम भी दर्ज कराया गया था, जिस पर धमकी देने और लगातार पैसे के लिए प्रताड़ित करने का आरोप है। बावजूद इसके, 21 माह बीत जाने के बाद भी न तो एजेंट के खिलाफ ठोस कार्रवाई हुई और न ही संबंधित कंपनियों पर कोई सख्ती बरती गई।
हैरानी की बात यह है कि प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद चारों माइक्रो फाइनेंस कंपनियां आज भी क्षेत्र में सक्रिय हैं। वरीय पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर इस पुराने मामले की फाइल दोबारा खंगाली जा रही है और घटना की सत्यता की जांच फिर से करने की तैयारी है।
एक दर्जन से अधिक माइक्रो फाइनेंस बैंक व कंपनियां सक्रिय
प्रखंड की 37 पंचायतों में एक दर्जन से अधिक माइक्रो फाइनेंस बैंक व कंपनियां सक्रिय हैं। इन कंपनियों के एजेंट गांव-गांव घूमते हैं। खासतौर पर गरीब, मजदूर और रोज दिहाड़ी पर काम करने वाले परिवारों को अपने जाल में फंसा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के एजेंट महिलाओं की स्वयं सहायता समूह बनाकर सामूहिक लोन बांटते हैं। शुरुआत में किस्त की राशि कम होती है, जिससे लोगों को लगता है कि इसे आसानी से चुकाया जा सकता है। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है तो ब्याज, जुर्माना और अतिरिक्त चार्ज के साथ किस्त का दबाव बढ़ने लगता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि ऐसे में कंपनी के कर्मचारी क्रेडिट स्कोर खराब करने की धमकी देते हैं। आज के समय में क्रेडिट स्कोर खराब होना गरीब परिवारों के लिए एक बड़ा डर बन चुका है, क्योंकि आगे चलकर बैंक से कोई भी सरकारी या निजी ऋण मिलना मुश्किल हो जाता है।
दो वर्षों से रह रहे हैं बाहर
भठंडी के मोहम्मद सरफराज माइक्रो फाइनेंस कंपनी से लोन लिया था। विलम्ब होने के कारण कंपनी की ओर से उसे हमेशा प्रताड़ित किया जाने लगा। नतीजतन वह दो वर्षों से घर से बाहर है। उसकी पत्नी व बच्चे भी घर छोड़ कर गायब हैं।
इतना ही नहीं सरफराज की मां भी बैंक से लोन ली, लेकिन दो माह के बाद उनकी मृत्यु हो गई। बताया जाता है कि बैंक की ओर से ऋण लेने वालों का इंश्योरेंस किया जाता है, ताकि लोन माफ हो सके, लेकिन उसका लोन माफ नहीं हुआ। नतीजतन उसे कंपनी को पूरा पैसा चुकाना पड़ा। यह केवल सरफराज तक ही सीमित नहीं है। चांदनी खातून, साबरा खातून समेत कई महिलाएं आज भी बैंक के डर से घर पर नहीं रह रही हैं।
दर्जनों लोग चले गए बाहर
सिराजाबाद पंचायत की दर्जनों महिला घर छोड़ कर बाहर रह रही हैं। उसका कारण केवल ऋण ही है। इंदु देवी ने बताया कि एक लाख रुपये ऋण लेने के बाद वह प्रत्येक माह 5100 रुपया किस्त देती हैं। चौबीस महीने तक किस्त के साथ एक लाख बाईस हजार चार सौ रुपए लिए।
भले ही यह रकम ज्यादा हो, लेकिन ऋण के लिए बैंकों का चक्कर नहीं लगाना होता है। सकरा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में सक्रिय माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की सूची इस समस्या की गंभीरता को और उजागर करती है।
पुलिस से कार्रवाई की मांग
इस दुखद मामले ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के संचालन और उनके कर्ज देने के तरीकों पर सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि सकरा प्रखंड में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की गतिविधियों की जांच कराई जाए। प्रशासन और पुलिस अब इस दिशा में सक्रिय होकर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठा रहे हैं।

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