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    Langat Singh Jayanti: स्वयं प्राथमिक शिक्षा ही पाई, मुजफ्फरपुर में पेश की उच्च शिक्षा की नजीर

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Sun, 10 Oct 2021 11:44 AM (IST)

    Langat Singh Jayanti जनवरी 1899 में भूमिहार ब्राह्मण सभा का मुजफ्फरपुर में अधिवेशन हुआ। इसमें देशभर के विद्वान और जमींदार आए । महासभा में लंगट सिंह द्वारा मुजफ्फरपुर में डिग्री कालेज खोलने के प्रस्ताव पास किया गया ।

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    बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में लंगट सिंह ने दिया था एक लाख टका चंदा।

    मुजफ्फरपुर, अंकित कुमार। शिक्षा के बिना समाज का विकास संभव नहीं है। यह लोगों को सम्मानपूर्वक आजीविका दिलाने के साथ ही बेहतर समाज के निर्माण में सहायक होता है। बाबू लंगट ङ्क्षसह ने करीब 122 वर्ष पूर्व अपनी दूरदर्शी सोच से मुजफ्फरपुर में एलएस कालेज में की स्थापना की थी। मूल रूप से वैशाली जिले के धरहरा गांव में किसान परिवार में जन्मे बाबू लंगट ङ्क्षसह ने स्वयं प्राथमिक शिक्षा पाई पर उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐसे कार्य किए जो आज भी समाज के सामने मिसाल प्रस्तुत कर रहा है। लंगट सिंह का जन्म सन 10 अक्टूबर 1850 में हुआ था। गांव में कोई स्कूल नहीं होने की वजह से उन्होंने प्राथमिक विद्यालय तक की शिक्षा प्राप्त की और 16 वर्ष में हीं उनकी शादी हो गई। लंगट सिंह के परिवार सामान्य था। ऐसे में आजीविका के लिए वे समस्तीपुर आ गए। हाजीपुर निवासी अधिवक्ता गंगोत्री प्रसाद सिंह कहते हैं कि समस्तीपुर दरभंगा रेल-लाइन के बगल में उन्हें टेलीफोन लाइन में लाइन मैन का काम मिल गया। उसी समय उनकी मुलाकात अंग्रेज अभियंता ग्रीयर विल्सन से हुई। कालांतर में लंगट सिंह की लगनशीलता विल्सन दंपती प्रभावित हुए। उनसे लंगट सिंह ने अंग्रेजी लिखना-बोलना सीखा। रेल लाइन निर्माण में ठीकेदारी करने लगे।

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    बनारस की महासभा में दिखाई दिलेरी तो दंग रह गए राजा-महाराजा

    1895 में बनारस में भूमिहार ब्राह्मण महासभा में लंगट सिंह पहली बार हिस्सा लेने गए। उसकी अध्यक्षता काशी नरेश कर रहे थे। इसमें कई भूमिहार जमींदार सम्मलित हुए। महासभा में मालवीयजी के प्रयास से बनारस में हिंदू विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव पास हुआ। सभी ने चंदा देने की बात कही। इसी दौरान लंगट सिंह ने एक लाख टका चंदा के रूप में दिया तो सभी चकित हो गए। वहीं लंगट सिंह को मुजफ्फरपुर में कालेज खोलने का विचार आया। जनवरी 1899 में भूमिहार ब्राह्मण सभा का मुजफ्फरपुर में अधिवेशन हुआ। इसमें देशभर के विद्वान और जमींदार आए। महासभा में लंगट सिंह द्वारा मुजफ्फरपुर में डिग्री कालेज खोलने के प्रस्ताव पास किया गया। लंगट ङ्क्षसह ने स्कूल और कालेज खोलने के लिए सरैयागंज में 13 एकड़ जमीन दिया। तीन जुलाई 1899 को सरैयागंज में उसी जमीन पर भूमिहार ब्राह्मण कालेजिएट स्कूल और भूमिहार ब्राह्मण कालेज की नींव रखी गई। बाद में दामुचक के पास जमीन की खरीदारी हुई जहां वर्तमान में एलएस कालेज है।

    प्राचार्य बोले- विरासत को बचाने के लिए कर रहे हर संभव प्रयास

    एलएस कालेज के प्राचार्य डा.ओपी राय ने कहा कि बाबू लंगट सिंह महामानव थे। उन्होंने उच्च शिक्षा की दिशा में जो अलख जगाई उसे कभी भूला नहीं जा सकता। उनके द्वारा स्थापित एलएस कालेज आज भी बिहार विवि के प्रीमियर कालेजों में अव्वल है। इकलौते इसी कालेज को नैक से ग्रेड ए प्राप्त है। इसकी ऐतिहासिकता को कायम रखने की दिशा में हर संभव कार्य हो रहे हैं।