Bihar Land Rate Update: बाजार मूल्य के आधार पर तय होगी जमीन की सरकारी दर, प्रक्रिया शुरू
Bihar Market Linked Land Rate Policy: बिहार सरकार ने जमीन की सरकारी दर में बदलाव करने का फैसला किया है। इसको लागू करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। चुनाव आचार संहिता की वजह से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही थी, किंतु सामान्य कामकाज आरंभ होते ही चीजें शुरू हो गई हैं। मुख्य सचिव के निर्देश के बाद एआइजी ने प्रमंडल के सभी जिला अवर निबंधक और अवर निबंधकों को बाजार दर के अनुसार वास्तविक एमवीआर बनाने के लिए कहा है।

Market Driven Government Land Rate Bihar: भूमि का वर्गीकरण शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अलग-अलग निर्धारण होगा।
प्रेम शंकर मिश्रा, जागरण। Market Based Land Rates Bihar: बिहार में जमीन की सरकारी दर में बदलाव की तैयारी चल रही है। इसको पूरी तरह से मार्केट आधारित किए जाने की संभावना है। इस दिशा में मुख्य सचिव ने पहल की है।
इसके बाद तिरहुत के एआइजी (सहायक निबंधन महानिरीक्षक) राकेश कुमार ने प्रमंडल के सभी जिला अवर निबंधक और अवर निबंधकों को बाजार दर के अनुसार वास्तविक एमवीआर बनाने को कहा है।
एमवीआर पुनरीक्षण की तैयारी
शुक्रवार को जारी पत्र में एआइजी ने लिखा है कि शहरी, पेरिफेरल और ग्रामीण क्षेेत्रों में वर्तमान में प्रभावी एमवीआर (न्यूनतम मूल्य रजिस्टर) के पुनरीक्षण की कार्यवाही की जानी है। चार नवंबर की विभागीय समीक्षात्मक बैठक में मुख्य सचिव ने इस संबंध में निर्देश दिया था।
इसे देखते हुए वर्तमान में प्रचलित बाजार दर के अनुसार ही वास्तविक एमवीआर तैयार किया जाए। वैसे मौजे जिनके वर्तमान एमवीआर एवं प्रचलित बाजार दर में अधिक अंतर है, उसका विवरण उपलब्ध कराया जाए।
जमीन की रजिस्ट्री पर पड़ेगा प्रभाव
औद्योगिक क्षेत्र का एमवीआर अलग से तैयार होगा। एआइजी ने एमवीआर पुनरीक्षण का कार्य यथाशीघ्र प्रारंभ करने को कहा है। इससे यह माना जा रहा है कि राज्य में जमीन की सरकारी दर बढ़ेगी। इससे जमीन की रजिस्ट्री भी महंगी हो जाएगी।
बाजार दर कई गुना बढ़ी
विदित हो कि राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन का एमवीआर वर्ष 2014 और शहरी का 2016 के बाद से नहीं बढ़ा है। इस बीच जमीन की बाजार दर कई गुना बढ़ गई है। जमीन की खरीद-बिक्री में पुरानी दर से ही राजस्व प्राप्त होने से सरकार को क्षति हो रही है। इसके अलावा जिले में राजस्व का लक्ष्य हर वर्ष बढ़ रहा है, मगर दर नहीं बढ़ने से इसकी प्राप्ति कठिन हो जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सात तरह से वर्गीकरण
राज्य में अब जमीन के वर्गीकरण की प्रक्रिया में भी बदलाव हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन का वर्गीकरण सात तरह से होगा। वहीं शहरी क्षेत्र में छह होगा। इसमें औद्योगिक क्षेत्र भी शामिल होगा।
इस तरह होगा जमीन का वर्गीकरण :
ग्रामीण क्षेत्र :
1.व्यवसायिक भूमि : जिस भूखंड का उपयोग व्यवसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है।
2 . औद्योगिक भूमि : वह भूखंड अथवा क्षेत्र, जिसे राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया है अथवा जिस भूखंड पर कोई औद्योगिक प्रतिष्ठान संचालित है।
3. आवासीय भूमि : ऐसी भूमि जहां गांव बसा हो। उस गांव के अंतिम घर से चारों ओर सामान्य स्थिति में लगभग 200 मीटर तक की परिधि में अवस्थित क्षेत्र की भूमि को आवासीय भूमि माना जाएगा।
4. उच्च मार्ग तथा मुख्य सड़कों की दोनों तरफ की भूमि : नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे तथा मेजर डिस्ट्रीक्ट रोड से सटे संपूर्ण खेसरा की भूमि इसके अंतर्गत रखी जाएगी। इसका एमवीआर उसके उपयोग के आधार पर निर्धारित होगी।
5. सिंचित भूमि : ऐसी भूमि जहां सरकारी अथवा निजी स्रोत से सिंचाई की व्यवस्था हो और एक से अधिक फसल उपजायी जाती हो।
6. असिंचित भूमि : ऐसी भूमि जिसमें मात्र एक फसल ही साल में उपजायी जाती हो।
7. बलुआही, पथरीली, दियारा एवं चंवर भूमि : ऐसी भूमि जिसमें या तो पानी से आच्छादित रहने के कारण अथवा अन्य कारणों से किसी प्रकार की फसल नहीं उपजायी जा सकती हो।
शहरी क्षेत्र :
1. प्रधान सड़क व्यावसायिक/आवासीय भूमि : नेशनल तथा स्टेट हाइवे/नगर निकाय द्वारा अधिसूचित सड़कों की सूची के आधार पर जो भूमि या खेसरा संख्या प्रधान सड़क की ओर खुलती है। चाहे मकान हो या खाली भूमि हो, व्यावसायिक श्रेणी की भूमि मानी जाएगी।ऐसी भूमि के लिए व्यावसायिक एवं आवासीय की दर एक होगी।
2. मुख्य सड़क व्यवसायिक/आवासीय भूमि : नगर निकाय द्वारा अधिसूचित सड़कों की सूची के आधार पर भूमि की दो अलग-अलग श्रेणी होगी। सड़क का वह हिस्सा जो बाजार से होकर गुजरता हो, उसपर अवस्थित भूमि जो सड़क की ओर खुलती हो, संरचनायुक्त अथवा परती भूमि को, व्यवसायिक मुख्य सड़क श्रेणी की भूमि मानी जाएगी। ऐसी भूमि के लिए व्यवसायिक एवं आवासीय की दर एक होगी।
सड़क का वह हिस्सा जो बाजार से होकर नहीं गुजरती हो, उसपर अवस्थित भूमि जो सड़क की ओर खुलती हो, संरचनायुक्त अथवा परती भूमि को, आवासीय मुख्य सड़क श्रेणी की भूमि मानी जाएगी। व्यावसायिक मुख्य सड़क एवं आवासीय मुख्य सड़क श्रेणी की भूमि की दर अलग-अलग होगी।
3. औद्योगिक भूमि : अगर शहरी क्षेत्र में भूमि का उपयोग उद्योग लगाने के लिए या औद्योगिक भूमि के रूप में चिन्हित किया गया हो या उस भूमि पर उद्योग लगा हो, उस भूमि को औद्योगिक श्रेणी की भूमि मानी जाएगी।
4. शाखा सड़क व्यावसायिक/आवासीय भूमि : नगर निकाय द्वारा अधिसूचित प्रधान सड़क एवं मुख्य सड़क से मिलने वाली शाखा सड़क के किनारे अवस्थित भूमि को उनके वर्तमान उपयोग के आधार पर शाखा सड़क व्यावसायिक/आवासीय भूमि मानी जाएगी।व्यावसायिक एवं आवासीय क्षेत्रों की भूमि की दर अलग-अलग होगी।
5. अन्य सड़क (गली) आवासीय भूमि : नगर निकाय द्वारा अधिसूचित सड़कों की सूची के आधार पर जो भूमि अन्य सड़क (गली) पर अवस्थित है। उसे अन्य सड़क (गली) आवासीय भूमि माना जाएगा, जिस मार्ग पर चार चक्का वाहन नहीं जा सकता है।
6.कृषि/ गैर आवासीय भूमि : शहरी क्षेत्रों की ऐसी भूमि, जो उपरोक्त शहरी क्षेत्र के वर्गीकरण में नहीं आती है, मगर शहरी क्षेत्र के अंतर्गत हैं। वहां पूर्ण रूप से कृषि कार्य हो रहा है अथवा गैर आवासीय प्रयोजन बागवानी, पशुपालन आदि जैसे अन्य कृषि क्षेत्र से संबंधित कार्य हेतु उपयोग किया जा रहा हो। इसकी चौहद्दी में कोई निजी या सार्वजनिक रास्ता नहीं हो।
पेरिफेरल क्षेत्र
इस भूमि का वर्गीकरण ग्रामीण क्षेत्र की भूमि के वर्गीकरण के अनुरूप निर्धारित होगा। इस क्षेत्र की भूमि का एमवीआर ग्रामीण क्षेत्र से अधिक, मगर शहरी क्षेत्र से कम तय होगा।
यूं तो अभी यह जमीन के वर्गीकरण और उसके दर निर्धारण की बात है, किंतु आने वाले दिनों जब सरकारी दरें निर्धारित किए जाने की बात आएगी तो सरकारी स्तर पर इन्हीं मानकों के आधार पर जमीन की खरीद हो सकेगी। बाद में इसका प्रभाव जमीन के बाजार मूल्य में देखने को मिल सकता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।