Bihar Land News: नीतीश सरकार का अहम फैसला, परियोजनाओं को मिलेगी गति; भूमि अधिग्रहण में नहीं फंसेगा पेच
बिहार में भूमि अधिग्रहण में होने वाली देरी से परियोजनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए पथ निर्माण विभाग ने पांच प्रमंडलों में भू-अर्जन विशेषज्ञों ...और पढ़ें

बाबुल दीप, मुजफ्फरपुर। राज्य में अधिकतर परियोजनाएं निर्धारित समय से चार-पांच वर्ष की देरी से पूरा होती हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण भूमि अधिग्रहण में उत्पन्न समस्या है। एक भी ऐसी बड़ी परियोजना नहीं है जो लक्षित समय से पूर्ण हुई हो। इस कारण राजस्व की क्षति के साथ सरकार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है।
इसे देखते हुए पथ निर्माण विभाग की ओर से अहम निर्णय लिया गया है। राज्य के पांच प्रमंडलों में भूमि अधिग्रहण में आ रही तकनीकी समस्या को दूर करने के लिए भू-अर्जन विशेषज्ञों की तैनाती की गई है। पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने इससे सभी जिलाधिकारियों को अवगत कराया है।
बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में पथ निर्माण विभाग के अंतर्गत राज्य में तीन एक्सप्रेस हाईवे, तीन हाइस्पीड कोरिडोर समेत कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं एवं सड़कों का निर्माण किया जाना है। दरअसल, मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा के दौरान विभिन्न योजनाओं की स्वीकृति दी गई है। इस दौरान बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की भी आवश्यकता होगी। ससमय कार्यों को पूरा करना विभाग की प्राथमिकता है।
विशेषज्ञों की तैनाती होने से काफी हद तक समस्या समाप्त हो जाएगी। इससे रैयतों को ससमय मुआवजे का भुगतान होगा और भागदौड़ से राहत मिलेगी। बताया गया कि पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंताओं द्वारा अब तक यह कार्य किया जाता रहा है, लेकिन तबादला होने पर तकनीकी जटिलता के कारण काम पूरा करने में दिक्कत होती है। इस वजह से उक्त निर्णय लिया गया है।
अवकाश प्राप्त आईएएस और बिहार प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी:
इसमें तिरहुत (मुजफ्फरपुर एवं सारण) मगध (गया एवं मुंगेर) पटना, भागलपुर एवं पूर्णिया और कोसी (सहरसा) व दरभंगा प्रमंडल शामिल हैं। इसमें अवकाश प्राप्त आइएएस और बिहार प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारी हैं। इन्हें भू-अर्जन की तकनीकी प्रक्रिया के बारे में जानकारी है।
इन सभी को समाहर्ता, अपर समाहर्ता, भू-अर्जन पदाधिकारी और सीओ से संपर्क कर अधिग्रहण में उत्पन्न समस्याओं को दूर करने में सहयोग किया जाएगा। संबंधित जिले में इनका कार्यालय पथ निर्माण विभाग का कार्यालय होगा। सप्ताह में चार दिन एक जिले में भ्रमण कर समस्याओं को दूर करेंगे और इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को देंगे।
जिले में संचालित परियोजनाएं, जिनमें हुई देरी
मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास: यह बाइपास करीब 17 किलोमीटर लंबा है। वर्ष 2010 में इसके निर्माण की स्वीकृति मिली थी, लेकिन कार्य वर्ष 2012 से शुरू हुआ। इसे तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन भूमि अधिग्रहण में उत्पन्न समस्या के कारण 10 वर्ष देरी हो गई।
इसपर दो सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं और अभी भी कार्य पूरा नहीं हुआ है। इस दौरान करीब पांच साल से अधिक तक काम पूरी तरह बंद रहा, क्योंकि भूमि अधिग्रहण को लेकर रैयतों की ओर से कोर्ट में परिवाद दायर कराया गया था। बाद में कोर्ट के आदेश पर काम शुरू हुआ।

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