Updated: Mon, 08 Jan 2024 03:16 PM (IST)
राम मंदिर के बलिदानी के छोटी बेटी कृति संजय को 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का न्यौता मिला है। उनके पिता संजय कुमार सिंह को दो नवंबर 1990 को हुई दूसरी कारसेवा के दौरान मौत हो गई थी। कृति का कहना है कि उसके पिता जैसे हजारों कारसेवक का सपना 22 जनवरी को पूरा होने जा रहा है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मेरे पिता राममंदिर निर्माण का संकल्प लेकर गए थे। वह इस दुनिया में नहीं है, मगर श्रीराम मंदिर का उनका सपना पूरा हो रहा है। इस ऐतिहासिक पल को हम दोनों बहनें अपनी आंखों से देख पाएंगे। यह कहकर भावुक हो जाती है कृति संजय।
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पिता ने कारसेवा के दौरान गंवाई थी जान
कृति श्रीराम मंदिर के लिए कारसेवा के दौरान जान देने वाले संजय कुमार सिंह की बेटी है। रविवार को विहिप की तरफ से 22 जनवरी को अयोध्या आने का आमंत्रण मिला।
कृति ने बताया कि पिता व माता दोनों इस दुनिया में नहीं हैं। दो बहन अलग-अलग जगह पर सपरिवार रहती हैं। बड़ी बहन को पहले आमंत्रण आया था। मन दुखी था कि उसे मौका नहीं मिलेगा। अब आमंत्रण मिल गया। प्रभु श्री राम का दर्शन होगा।
22 जनवरी को पूरा होगा कारसेवकों का सपना: कृति
कृति बोली, जब उसके खबडा स्थित आवास पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र व विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष कामेश्वर चौपाल, प्रांत मंत्री विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री व पूजित अक्षत वितरण समारोह के संयोजक राज किशोर सिंह और विहिप के उपाध्यक्ष शंभू प्रसाद सिंह पहुंचे, तो लगा कि भगवान राम की कृपा हो गई। आमंत्रण मिला तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कहा, उसके पिता जैसे हजारों कारसेवक का सपना 22 जनवरी को पूरा होने जा रहा है।
1990 में हुए हादसे में गई थी संजय की जान
कृति अपने पति चंदन शर्मा व पुत्र अथर्व व पुत्री यतिका के साथ ट्रेन से अयोध्या जाएगी। वह 20 जनवरी को निकलेगी।
दो नवम्बर, 1990 को कारसेवा में हुए थे शामिल संजय संजय कुमार सिंह के साथ कारसेवा के गवाह रहे भाजपा नेता डा अरविंद बताते हैं कि पहली कारसेवा 30 अक्टूबर, 1990 और दूसरी कारसेवा दो नवंबर, 1990 को हुई थी।
दूसरी कारसेवा के समय पांच हजार कारसेवकों का जत्था मंदिर की ओर बढ़ रहा था। हनुमान गढ़ी के पास पुलिस ने अचानक पीछे से गोली चला दी। उस घटना में पांच कारसेवकों की जान गई। इनमें बिहार के संजय कुमार सिंह भी शामिल थे।
परिवार के सामने आए कई मुश्किल हालात
संजय अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। विधवा बूढ़ी मां, पत्नी और दो मासूम बच्चियों का जीवन-यापन उन्हीं पर निर्भर था। संजय के गुजरने के बाद परिवार को काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।
काफी मशक्कत से संजय की पत्नी रंभा कुमारी की नौकरी लग पाई। कैंसर से लड़ते हुए उनकी जीवनलीला समाप्त हो गई। अब दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है।
प्राण प्रतिष्ठा के दिन गांव में होगा भव्य समारोह
संजय की जब जान गई तब बड़ी बेटी दो साल दस माह तो छोटी बेटी डेढ़ माह की थी। कारसेवक संजय स्मृति ट्रस्ट बनाया गया है। गांव में संजय की प्रतिमा लगी है।
प्रतिमा निर्माण समिति के अध्यक्ष कांटी के पूर्व प्रमुख मुकेश पांडेय ने शहीद नमन स्थल बनाने को जमीन दान की है। वहां प्रतिमा लगाने के साथ पार्क व सड़क निर्माण का काम चल रहा है। प्राण प्रतिष्ठा है उस दिन गांव में भी भव्य समारोह होगा।
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