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    क्या आपके पास हैं बंद हो रहे 500 व 1000 के नोट? जानिए क्या करें अाप...

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Wed, 09 Nov 2016 11:23 PM (IST)

    भारत में पांच सौ व हजार रुपये के नोटों का प्रचलन बुधवार से बंद हो रहा है। जिनके पास ये नोट हैं, वे परेशान हैं। आखिर वे क्या करें, जानिए...

    क्या आपके पास हैं बंद हो रहे 500 व 1000 के नोट? जानिए क्या करें अाप...

    पटना [जेएनएन]। अगर आपके पास 500 या 1000 रुपये के नोट हैं तो कल ये कौड़ी के भाव नहीं चलेंगे। केंद्र सरकार ने इन नोटों को आज रात 12 बजे के बाद चलन से हटाने का फैसला किया है। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संदेश में दी।

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    आनन-फानन में घोषित इस फैसले से बिहार में लोग परेशान हैं। बिहार के आम लोगों में इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया है। लेकिन, घबराइए नहीं, सरकार ने आपकी सहूलियत का ध्यान रखा है। अगर आपके पास ऐसे नोट हैं, तो जानिए क्या करें...

    सरकार ने दी ये सहूलियतें...

    - जिनके पास ऐस नोट पहले से हैं, वे इन्हें 10 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 तक (50 दिनों के भीतर) अपने खाते में जमा कर सकते हैं। 30 दिसंबर तक इन्हें बैंक या डाकघर में बदल भी सकते हैं।

    - ऐसे नोटों को बदलने के लिए बैंक या डाकघर में आपको अपना पचिय पत्र ले जाना होगा।

    - 9 नवंबर को बैंक बंद रहेंगे। 9 व 10 नवंबर को एटीए भी बंद रहेंगे। इस दौरान क्रेडिट व डेबिट कार्ड तथा चेक के जरिए पेमेंट स्वीकार किए जाएंगे।

    - एटीएम से निकासी की सीमा फिलहाल प्रतिदिन 10 हजार व प्रति सप्ताह 20 हजार रुपये रखी गई है।

    - शेष रुपयों का प्रचलन जारी रहेगा।

    ...फिर भी परेशानी तो होगी ही

    नकली नोटों को रोकने तथा काला धन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। लेकिन, इससे बिहार में वैसे आम लोगों में भी खलबली है, जिनके पास किसी खास काम से मोटा कैश पड़ा है।

    पूर्वी चंपारण के व्यवसायी रंजीत साह के पिता पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। कल ही शिड्यूल्ड ऑपरेशन के लिए उन्होंने दो लाख रुपये बैंक से निकाले थे। वे कहते हैं, ''अब कल तो अस्पताल में ये रुपये लिए नहीं जांएगे। बैंक भी बंद रहेंगे। बैंक से पूरी निकासी कर ली है, इसलिए मोबाइल बैंकिंग भी संभव नहीं। अब उन्हें पिता की जान की चिंता खाए जा रही है। हालांकि सरकारी अस्पतालों में 72 घंटे तक ये नोट स्वीकार किए जाएंगे। लेकिन निजी अस्पतालों में उहापोह का आलम है। परेशानी के ऐसे कई उदाहरण दिख रहे हैं।