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    जानिए समस्तीपुर के रसकदम में ऐसा क्या खास है कि अमेरिका समेत कई देशों में हैं इसके प्रशंसक

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Mon, 24 Feb 2020 03:07 PM (IST)

    Rasaakadam of Dalsinghsarai कनाडा सऊदी अरब इंडोनेशिया और नेपाल में भी इसकी खूब मांग है। अमेरिका के इंडियन रेस्टोरेंट में बंगाली मूल की यह मिठाई बनने भी लगी है।

    जानिए समस्तीपुर के रसकदम में ऐसा क्या खास है कि अमेरिका समेत कई देशों में हैं इसके प्रशंसक

    समस्तीपुर, [अंगद कुमार सिंह]। बंगाली मूल की मिठाई रसकदम बेहतरीन स्वाद और मिठास के लिए प्रसिद्ध है। देश में इसका नाम तो पहले से ही है, लेकिन अब अमेरिका, कनाडा, सऊदी अरब, इंडोनेशिया व नेपाल तक इसकी पहचान बन चुकी है। अमेरिका के कई इंडियन रेस्टोरेंट में तो यह मिठाई बनने लगी है। रसकदम को जो ऊंचाई मिली, उसका श्रेय दलसिंहसराय के कुछ लोगों को जाता है।

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    पोस्ता दाने की परत

    छेना के ऊपर खोआ और उसपर लिपटी पोस्ता दाने की परत रसकदम की खूबसूरती व गुणवत्ता बढ़ाती है। दलसिंहसराय अनुमंडल निवासी निशांत चौधरी वर्ष 2010 में लॉ की पढ़ाई करने अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी पहुंचे। अपने साथ यहां से मिठाई भी ले गए थे। इसे अमेरिकी दोस्तों के साथ शेयर किया तो इसका स्वाद उन्हें काफी पसंद आया।

    अमेरिकियों को भाया रसकदम

    वहीं, दलसिंहसराय शहर की अंकिता चमरिया वर्ष 2013 में पति आशीष चमरिया के साथ अमेरिका के सेंट लुइस पहुंचीं। वह भी यह मिठाई लेकर गईं तो अमेरिकियों को भा गया। उनके ग्रुप के कई लोग इसके स्वाद के मुरीद हैं। अमेरिका के उनके दोस्त कैल्बिम रसकदम का स्वाद नहीं भूलते। कहती हैं कि अब तो अमेरिका के कई इंडियन रेस्टोरेंट में यह मिठाई भी बनने लगी है। हालांकि, यह भारतीय स्वाद से पूरी तरह अलग होती है।

    उपमुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री भी इसके मुरीद

    रसकदम बनाने वाले चमनलाल साह बताते हैं कि दलसिंहसराय में ही प्रतिदिन इसकी बिक्री चार सौ किलो तक है। यहां के 35 से 40 दुकानों में यह बनती और बिकती है। चार सौ रुपये प्रति किलो इसका रेट है। उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से लेकर स्थानीय सांसद व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भी इसे पसंद करते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की भी यह पसंदीदा मिठाई है।

    इस तरह समस्तीपुर पहुंची यह मिठाई

    करीब सौ वर्ष पहले बंगाल से अपने मित्र से रसकदम बनाने के गुर सीखकर दलसिंहसराय लौटे बाबा हलवाई ने सबसे पहले इसे बनाने की शुरुआत की थी। उनसे सीखकर अन्य ने बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यह मिठाई यहां की पहचान बन गई।