Gopashtami: जानिए आज किस विधान से गो पूजन करने पर घर में होगा लक्ष्मी का वास
Gopashtamiमान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गाय बैल और बछड़ों को स्नान करवाकर उन्हें सुन्दर आभूषण से सजाने की परंपरा है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी उत्सव मनाया जाता है। चार नवंबर को होगा। यह महोत्सव उत्तम फलदायक है। भगवानपुर स्थित बाबा मनोकामना नाथ मंदिर के आचार्य संतोष तिवारी बताते हैं कि जो लोग नियम से कार्तिक स्नान करते हुए जप, होम व पूजा-अर्चना का फल पाना चाहते हैं, उन्हेें गोपाष्टमी पूजन अवश्य करनी चाहिए। इस दिन गाय, बैल और बछड़ों को स्नान करवाकर उन्हें सुन्दर आभूषण से सजाते हैं। यदि आभूषण संभव न हो तो उनके सींगों को रंग अथवा पीले पुष्पों की माला से सजाएं।
उन्हें हरा चारा और गुड़ खिलाना चाहिए। उनकी आरती करते हुए उनके पैर छूने चाहिए। साथ ही गोशाला के लिए दान दें। पंडित ब्रजेश तिवारी उर्फ 'त्यागी जी' ने बताया कि गोधन की परिक्रमा करना अति उत्तम कर्म है। गोपाष्टमी को गऊ पूजा के साथ गायों के रक्षक ग्वाले या गोप को भी तिलक लगा कर उन्हें मीठा खिलाएं। पंडितों के अनुसार गोपाष्टमी पर गो पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। उपासक को धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में लक्ष्मी का वास होता है। इसके सामाजिक पहलू भी हैं। चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है। प्राचीनकाल में खेती इन्हीं जानवरों पर आश्रित था। इस तरह के आयोजन से किसानों को इनकी महत्ता से परिचित कराया जाता था।