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    Kitne Surakshit Hain School: एक कमरे का जर्जर भवन और टूटे चदरे के नीचे दो स्कूल

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 09:39 PM (IST)

    Kitne Surakshit Hain School मुजफ्फरपुर के बहलखाना मुशहर में एक प्राथमिक विद्यालय 32 सालों से एक जर्जर कमरे में चल रहा है। बुनियादी सुविधाओं की कमी और कल्याणी बाड़ा उर्दू स्कूल के विलय ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। शिक्षक और छात्र मुश्किल हालातों में शिक्षा प्राप्त करने को मजबूर हैं क्योंकि एक ही कमरे में पढ़ाई भोजन और शौचालय की व्यवस्था है।

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    कम सुविधा के बीच बच्चे अध्यापन करने को विवश।

    अजित कुमार, मुजफ्फरपुर। Kitne Surakshit Hain School: महज दस गुना आठ फीट के एक कमरे का भवन। उसके ऊपर टूटे चदरे का शेड। वह भी 25 वर्षों से जर्जर। इसमें संचालित होता है पहली से पांचवी कक्षा तक का प्राथमिक विद्यालय बहलखाना मुशहर। हर दिन रूटीन के अनुसार प्रार्थना तो होती है।

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    इसके अलावा भगवान से जिंदगी बचाने की प्रार्थना के साथ बच्चों और शिक्षकों के पठन और पाठन का काम चलता रहता है। बुधवार को दैनिक जागरण की टीम जब स्कूल पहुची तो कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली। स्कूल महज एक कमरे के जर्जर भवन में ही संचालित हो रहा है।

    इस स्कूल की परेशानी तब और बढ़ गई, जब इसमें प्राथमिक विद्यालय कल्याणी बाड़ा उर्दू को भी जोड़ दिया गया। भवन व भूमिहीन कल्याणी बाड़ा उर्दू स्कूल के जुड़ने के साथ यहां दोगुना बच्चों और शिक्षकों की जिंदगी पर खतरा बढ़ गया।

    वर्ष 1994 में खुले प्रावि. बहलखाना मुशहर में चार शिक्षक कार्यरत हैं। विद्यालय भवन, शौचालय, चापाकल, कुर्सी-बेंच आदि की बात करना तो समझिए विद्यालय के नाम का उपहास उड़ाना है। स्कूल के आसपास की अन्य झोपड़ियों से भी बदतर हालत इस विद्यालय की है।

    स्कूल के शिक्षकों की मानें तो लगभग 25 साल से यह विद्यालय जर्जर भवन में चल रहा है। इसमें 15 बच्चों एवं पांच शिक्षकों वाले प्राथमिक विद्यालय कल्याणी बाड़ा उर्दू को भी दो वर्ष पहले जोड़ दिया गया। सच्चाई यही है कि नगर निगम के इस जर्जर भवन में ही विद्यालय खोल दिया गया। इसके बाद इसे भुला दिया गया।

    वर्ष 2024 में बिहार शिक्षा परियोजना ने विद्यालय विकास मद से करीब 23 हजार रुपये मिले थे। वेंडर के माध्यम से चदरे की मरम्मत कराई गई थी। स्कूल की पूर्व प्रभारी हिना खातून ने शिक्षा विभाग को विद्यालय के लिए भवन निर्माण के लिए कई बार पत्र लिखा। इसके बाद भी शिक्षा विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।

    पुरानी गुदरी मोहल्ले के नगर निगम की जमीन पर चलने वाले इस विद्यालय में पहली से पाचवीं कक्षा तक 30 छात्र-छात्राओं का नामांकन किया गया है। इस बस्ती के लोगों का कहना है कि उनके बच्चे स्कूल जाते हैं, यही बड़ी बात है। उनका यह व्यंग्य विभाग पर तमाचा है कि झोपड़ी में रहने वालों के बच्चे महलनुमा विद्यालय में पढ़ने की सामर्थ्य कैसे रख सकते। सरकार ने उनके बच्चों के लिए स्कूल खोलकर एहसान ही किया है।

    एक ही कमरे में सबकुछ

    स्कूल के एक ही छोटे से कमरे में सबकुछ हो रहा है। पढ़ाई, भोजन, बाथरूम व अन्य सभी कार्य एक ही कमरे होते है। एक ही कमरे में चार से पांच डेस्क-बेंच लगाए गए हैं। यहां पहली से पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई होती है। स्कूल में 30 बच्चे नामांकित है। इसी बेंच पर बच्चे बैठकर पढ़ते और खेलते भी हैं। स्कूल में चार शिक्षक पदस्थापित है। ये भी इसी कमरे में बैठकर स्कूल के अलावा अन्य कार्य करते है।

    शिक्षकों के सहयोग से बना बाथरूम

    शिक्षा विभाग की ओर से अब तक शौचालय बना ना बाथरूम। स्कूल में बाथरूम नहीं होने से महिला शिक्षक को काफी परेशानी हो रही थी। करीब दो महीने पहले शिक्षकों ने आपसी सहयोग से वर्ग कक्ष के एक कोने में अस्थायी बाथरूम का निर्माण कराया है। शिक्षा विभाग की ओर से अब तक पेयजल की व्यवस्था नहीं है। छात्रों की परेशानी को घर जल नल योजना का एक प्वाइंट वर्ग कक्ष के एक कोने में लगाया गया है।

    शिक्षकों के चंदे से बल्ब व पंखे

    सरकार की ओर से अब तक स्कूल को बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है। ऐसे में स्कूल के शिक्षकों ने आस-पास से बिजली कनेक्शन लिया गया है। इससे बल्ब व पंखा किसी तरह जल और चल रहे हैं। स्कूल के शिक्षक बिजली का पैसा अपनी जेब से देते हैं।

    जमीन उपल्ब्ध कराने से निगम ने कर दिया इनकार

    नगर निगम की जमीन में यह विद्यालय चल रहा है। पूर्व वार्ड पार्षद मुकेश विजेता ने 2012 में जमीन को लेकर प्रयास किया था। निगम से अनुरोध भी किया था। नगर निगम ने एनओसी देने से इंकार कर दिया। इस वजह से भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि एनओसी मिलने के बाद ही राशि जारी होगा।

    स्कूल को बना दिया फुटबाल

    प्राथमिक विद्यालय कल्याणी बाड़ा उर्दू भवन व भूमिहीन है। यह विद्यालय कल्याणी एक धार्मिक स्थल में चल रहा था। नए सिरे से धार्मिक स्थल के निर्माण की वजह से स्कूल को खाली करा दिया गया। शिक्षा विभाग ने तत्काल उसे मारवाड़ी विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया। यहां विवाद होने के बाद उसे पुरानी गुदरी के प्राथमिक विद्यालय बहलखाना में स्थानांतरित कर दिया गया।

    स्कूली बच्चे को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसकी जांच कराकर शौचालय व पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। अब स्कूल के प्रधानाध्यापक को ही ई शिक्षा कोष पोर्टल पर समस्या अपलोड करनी है।

    सुजीत कुमार दास, डीपीओ, सर्व शिक्षा अभियान