मुजफ्फरपुर में रह रहे कश्मीरी पंडितों में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर उत्साह
मुजफ्फरपुर में बसे कश्मीरी पंडित लोकतंत्र में गहरी आस्था रखते हैं। 1977 से यहां रह रहे ई.बी.एल. लाहौरी बताते हैं कि कश्मीर में आतंक के कारण उन्हें पलायन करना पड़ा था। वे तब से लगातार मतदान कर रहे हैं और वोट की ताकत को लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका कहना है कि ईवीएम से मतदान प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज हुई है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर उनमें उत्साह है।

कश्मीरी पंडित इंजीनियर बीएल लाहौरी। सौ.स्वयं
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar Assembly Election 2025: कश्मीर में आतंक से तंग आकर यहां बस गए कश्मीरी परिवार हर साल मतदान में भाग लेते हैं। कन्हौली निवासी 80 वर्षीय ई. बी. एल. लाहौरी बताते हैं कि वे वर्ष 1977 में यहां आए थे और तब से लगातार मतदान कर रहे हैं।
वे कहते हैं, लोकतंत्र में वोट का बहुत बड़ा महत्व है। पुराने दिनों को याद करते हुए लाहौरी बताते हैं कि बात 1989 की है, जब वे अपने परिवार के साथ कश्मीर के सौपियां गांव में रहते थे।
उस समय आतंक का माहौल था। कश्मीरी पंडितों पर कहर टूट पड़ा था। माता -पिता के सामने बेटे की हत्या तक होने लगी। आतंकियों का कहना था कि या तो हमारे साथ मिल जाओ या फिर भाग जाओ।
उसी दौरान उनका पूरा परिवार अपनी जमीन-जायदाद छोड़कर यहां आ गया। जमीन का मुआवजा तक नहीं मिला। इसके लिए अभी भी पहल चल रही हैं।
लाहौरी बताते हैं कि यहां आकर उन्हें शांति और सुकून मिला है। उन्होंने कहा कि वोट की ताकत ही लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखती है। वर्तमान में उनके परिवार में तीन मतदाता हैं।
उन्होंने बताया कि वे 1977 में हैदराबाद से आइडीपीएल में नौकरी के लिए आए थे और यहीं बस गए। मतदान प्रक्रिया में आए बदलाव पर उन्होंने कहा कि पहले मतपत्र का जमाना था, अब ईवीएम है।
यह मोहर वाले सिस्टम से अधिक बेहतर और पारदर्शी है। ईवीएम से यह फायदा हुआ कि चुनाव परिणाम जल्दी आ जाता है। पहले तीन से चार दिन लगते थे। लाहौरी का मानना है कि लोकतंत्र और वोट की शक्ति ने कश्मीर में धीरे-धीरे बदलाव लाया है।
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