ये है पूरी कहानी : ISI एजेंट सान्वी ने Fake नाम से खोला था FB अकाउंट, रवि के लिए ऐसे रचा हनी ट्रैप का पूरा खेल
आईएसआई एजेंट को खुफिया जानकारी भेजने के मामले में मुंगेर जिले से गिरफ्तार हुए रवि चौरसिया को लेकर अब कई खुलासे हो रहे हैं। रवि के खाते में करीब डेढ़ र ...और पढ़ें

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। रवि चौरसिया को हनी ट्रैप में फंसाकर रक्षा संबंधी गोपनीय सूचना खरीदने वाली सान्वी शर्मा की प्रोफाइल की जांच पुलिस की तकनीकी सेल कर रही है। पता लगाया जा रहा है कि रवि के अलावा उसने किसी अन्य को तो हनी ट्रैप में नहीं फंसाया था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि सान्वी के छद्म नाम से फेसबुक व वाट्सएप पर अकाउंट खोला गया है।
वास्तव में उसका नाम कुछ और ही है। पुलिस की तकनीकी सेल उसकी असली पहचान का पता लगा रही है। पुलिस सूत्रों की अनुसार कई ट्रांजेक्शन में करीब डेढ़ लाख रुपये रवि के खाते में आए हैं। यह राशि कहां से भेजी गई, इसके बारे में पुलिस कुछ नहीं बता रही। माना जा रहा कि राशि पाकिस्तानी या अरब देशों से भेजी गई है। वरीय पुलिस अधीक्षक जयंतकांत ने बताया कि पूछताछ में रवि ने कई जानकारियां दी हैं।
इसे अन्य जांच एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रवि के बैंक खाते की भी जांच की जाएगी। यह पता लगाया जाएगा कि उसके खाते में कब-कब और कहां-कहां से रुपये आए? उसने कब निकासी की? उसके बैंक खाता को फ्रीज किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो कोर्ट की अनुमति लेकर उसे रिमांड पर लेकर दोबारा पूछताछ की जाएगी। पूरे मामले की जांच को लेकर पुलिस की विशेष टीम गठित की जाएगी।
पत्नी की डबडबाईं आंखें, कोर्ट परिसर में पति से लिपट गई
18 दिन पहले रवि की नेहा चौरसिया से शादी हुई थी। पति की गिरफ्तारी की खबर सुनकर वह कोर्ट पहुंची। काफी देर तक गुमशुम रहकर लोगों की बातें सुनती रही। जब कोर्ट की प्रक्रिया पूरी कर पुलिस रवि को जेल ले जाने को तैयार हुई तो नेहा की आंखें डबडबा गईं। वह खुद को रोक नहीं सकी। वह पति से लिपट गई और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। वह पति के कंधे पर सिर रखकर रोने लगी। वहीं, रवि की मां कभी उसे तो कभी बेटे को ढांढ़स बंधाने में लगी रही।
222 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में 21वें स्थान पर था रवि
राज्य के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने 21 जुलाई, 2022 को 222 लिपिकों की सेवा का पत्र जारी किया था। इसमें रवि का नाम 21वें स्थान पर था। उसकी नियुक्ति कटरा रजिस्ट्री आफिस में लिपिक पद पर हुई थी। नियुक्ति होने के पर उसने 19 अगस्त को चेन्नई के अवाडी स्थित भारी वाहन निर्माणी कारखाना के लिपिक पद से इस्तीफा दे दिया। वह वहां से 23 अगस्त को विरमित हुआ था। 29 अगस्त को उसने कटरा रजिस्ट्री आफिस में लिपिक पद पर योगदान दिया था।
ट्रांजेक्शन के कारण सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर तो नहीं आया रवि
करीब चार साल तक रक्षा मंत्रालय के चेन्नई के अवाडी स्थित भारी वाहन कारखाना में काम करने वाला रवि लंबे समय तक हनी ट्रैप में फंसा रहा। वह गोपनीय सूचनाएं साझा करता रहा। उसके मोबाइल में अब भी कई गोपनीय दस्तावेज मिली हैं। लंबे समय तक सूचनाएं भेजने के बाद भी वह सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में नहीं आया। माना जा रहा कि उसके एसबीआइ खाते में विदेश से राशि आने के बाद ही वह एजेंसियों के रडार पर आया। जांच अभी चल रही है। आगे पता चल सकेगा कि कितनी राशि उसके खाते में किन-किन देशों से भेजी गई थी और इसके बदले में क्या-क्या गोपनीय सूचनाएं भेजीं?
मोबाइल में मिलीं खतरा पैदा करने वाली सूचनाएं
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) को प्रतिबंधित एवं गोपनीय दस्तावेज बेचने के आरोप में गिरफ्तार रवि चौरसिया के मोबाइल के मेमोरी कार्ड व गैलरी में राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न करने वाली कई प्रतिबंधित, गोपनीय व संवेदनशील सूचनाएं मिली हैं। मोबाइल की जांच में यह बात सामने आई है कि वह अब भी आईएसआई एजेंट के संपर्क में था। दोनों के बीच नियमित बातचीत हो रही थी। कटरा थानाध्यक्ष ललित कुमार ने बताया कि कोर्ट की अनुमति लेकर जब्त की गई सामग्री को फोरेंसिंक जांच प्रयोगशाला भेजा जाएगा।
रक्षा मंत्रालय व पुलिस मुख्यालय से मिले इनपुट पर कार्रवाई
कटरा के रजिस्ट्री कार्यालय में कार्यरत रवि की शादी इसी साल 28 नवंबर को भागलपुर की नेहा चौरसिया से हुई। कटरा में वह अकेले रह रहा था। उसके विरुद्ध रक्षा मंत्रालय व पुलिस मुख्यालय से इनपुट मिला था। इस आधार पर वरीय पुलिस अधीक्षक ने कटरा थानाध्यक्ष ललित कुमार के नेतृत्व में टीम गठित की।
खुफिया एजेंसी सक्रिय, एनआईए कर सकती जांच
रक्षा से संबंधित संवेदनशील गोपनीय जानकारियां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की एजेंट को बेचने का मामला सामने आने पर देश की खुफिया एजेंसी सक्रिय हो गई है। रवि से आईबी के अधिकारियों ने पूछताछ की है। रा भी उससे पूछताछ कर सकती है। इस मामले की जांच एनआईए से भी कराए जाने की संभावना है।
श्रमिक पिता और लिपिक पुत्र का मकान इतना आलीशान!
मुंगेर जिला में ईस्ट कालोनी थाना क्षेत्र स्थित नया गांव विषहरी मोहल्ले का रहने वाला रवि चौरसिया ढाई वर्ष बाद अपनी शादी में घर पहुंचा था और लगभग एक सप्ताह तक घर पर रहा था। 28 नवंबर को उसकी शादी भागलुपर में हुई थी। बहू भोज के बाद वह दिसंबर के पहले सप्ताह में ड्यूटी पर गया था। उसके पिता रामअवतार मंडल श्रमिक हैं। इकलौते भाई रवि की एक बहन धनबाद रेल मंडल में कार्यरत है।
दूसरी बहन के साथ मां घर पर ही रहती हैं। पिता श्रमिक हैं। मकान देखकर नहीं लगता है कि वह एक श्रमिक का मकान है। आलीशान मकान के नीचे के तल पर चाचा और परिवार के सदस्य रहते हैं। पहले तल पर रवि का परिवार रहता है। घटना के बाद परिवार के सदस्य भी कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहे हैं। आईएसआई एजेंट से रवि के संपर्क होने की बात सुनकर नया गांव मोहल्ले के लोग भौंचक हैं।
मोहल्ले वालों ने बताया कि रवि पढ़ने में तेज-तर्रार था। मैट्रिक के बाद उसकी पढ़ाई बाहर ही हुई है। बाहर में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता था। मोहल्ले वालों से उसकी बात नहीं होती थी। नौकरी के बाद उसने लोगों से दूरी बना ली थी। शादी के दौरान लगभग एक सप्ताह वह गांव में रहा था।
छत पर किसी से घंटों मोबाइल पर करता रहता था बातें
आईएसआई कनेक्शन संबंधी मामले में कटरा निबंधन कार्यालय के गिरफ्तार लिपिक रवि चौरसिया ने तीन महीने पहले ही कटरा निबंधन कार्यालय में योगदान दिया था। बताया जाता है कि लगभग आठ साल पहले वह एसएससी की परीक्षा में शामिल हुआ था, लेकिन उसका परीक्षाफल लंबे अरसे तक पेंडिंग में रहा। इस बीच उसने चेन्नई स्थित भारी वाहन कारखाना में नौकरी कर ली।
तीन महीने पहले कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा का परिणाम आने के बाद उसने कटरा निबंधन कार्यालय मे योगदान दिया। बताया जाता है कि कार्यालय से निकलने के बाद सीधा अपने कमरे में वह जाता था और बाहर तभी निकलता था जब फिर कार्यालय जाना होता था। आसपास के लोगो से भी कोई परिचय नहीं था। बताया जाता है कि वह अक्सर छत पर जाकर किसी से घंटों मोबाइल फोन से बातें करता रहता था।
दफ्तर में लोगों से कटा-कटा रहता था रवि
आफिस में भी लोगों से कटा-कटा रहता था। निबंधन कार्यालय मे योगदान देने के बाद कार्यालय के सामने स्थित एक दवा दुकान के ऊपर आवासीय भवन में किराये के कमरे में वह रहने लगा। उसकी पड़ोस में सहरसा का एक और सहकर्मी मुन्ना पोद्दार रहता था, लेकिन इसकी गतिविधियों की उसको भनक नहीं थी। बताते हैं कि पिछले ही सप्ताह वह शादी के बाद घर से आया था।
दिसंबर के पहले सप्ताह में शादी करने घर मुंगेर गया था। चेहरे से मासूम दिखने से शातिर स्वभाव से लोग अवगत नहीं थे। एसटीएफ ने जब उसे आवास कक्ष से उठाया तो साथ रहनेवाले सहकर्मी को भी हिरासत में ले लिया, लेकिन पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया। एक कातिब ने बताया कि आफिस में भी उगाही के चक्कर में रहता था। जो कातिब सुविधा शुल्क देते थे उनकी फाइल जल्द निकाल देता था।

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