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Indian Reservation System:बनिया जाति आरक्षण व्यवस्था में कहां पर...पीएम मोदी के कार्यालय तक पहुंची शिकायत

Indian Reservation System पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर अंचल की सिसवा पटना पंचायत निवासी संजय गुप्ता ने वैश्य समुदाय की उपजाति कमलापुरी वैश्य को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किए जाने पर पीएमओ में शिकायत दर्ज कराई है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 21 Aug 2022 10:40 AM (IST)Updated: Sun, 21 Aug 2022 10:40 AM (IST)
कल्याणपुर अंचल कार्यालय में आरओ ने बनिया जाति का हवाला देकर प्रमाण पत्र नहीं दिया। फाइल फोटो

कल्याणपुर (पूर्वी चंपारण), संवाद सहयोगी। भारत में आरक्षण व्यवस्था पर हमेशा से सवाल उठाए जाते रहे हैं। बावजूद यह संविधान लागू होने के समय से ही प्रभावकारी है। ताजा प्रकरण बिहार के पूर्वी चंपारण से जुड़ा हुआ है। यहां वैश्य समुदाय की उपजाति कमलापुरी वैश्य के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र नहीं बनने का मामला पीएमओ पहुंच गया है। इसके बाद फिर से आरक्षण व्यवस्था को लेकर बहस शुरू हो गई है। इसके गुण-दोष पर बातें होने लगी हैं। इस संबंध में पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर प्रखंड स्थित सिसवा पटना पंचायत के वार्ड संख्या चार निवासी संजय गुप्ता ने पीएमओ में शिकायत की है।

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बनिया जाति का हवाला देकर आवेदन रद

अपने आवेदन में उन्होंने कहा है कि केन्द्रीय आरक्षण की सूची में एससी, एसटी व ओबीसी की सूची में हमारी जाति को शामिल नहीं किया गया है। मेरे बेटे राज आर्यन ने ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के लिए आनलाइन आवेदन कर अंचल कार्यालय कल्याणपुर पहुंचा। वहां आरओ वेद प्रकाश ने बनिया जाति का हवाला देते हुए उसके आवेदन को अस्वीकृत कर दिया। इस तरह वह प्रमाण पत्र से वंचित हो गया। आवेदक का कहना है कि सवर्णों को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस की नियमावली तैयार की है। इसमें यह उल्लेखित किया है कि एसटी, एससी व ओबीसी के तहत जिन्हें आरक्षण नहीं मिल रहा है ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को ईडब्ल्यूएस के आधार पर आरक्षण मिल सकेगा। आर्यन राज ने इसको आधार मानकर अपना आवेदन दिया था, लेकिन उसे निराशा हाथ लगी है।

अभी भ्रम की स्थिति

आरक्षण की परेशानी को लेकर पीएमओ में आवेदन देने वाले संजय गुप्ता ने एक जरूरी सा सवाल उठाया है कि इस व्यवस्था में बनिया जाति कहां पर है? उसकी स्थिति क्या है? वे लोग इसका लाभ किस रूप में ले सकेंगे? ये बातें स्पष्ट हो जानी चाहिए। यदि ऐसा हो जाता है तो इस समुदाय से आने वाले लोगों का काफी भला हो जाएगा। युवाओं में भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी और वे इसका लाभ ले सकेंगे।  


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