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    ग्राउंड जीरो रिपोर्ट: दरके बांध की मरम्मत होती तो नहीं दिखता तबाही का मंजर

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Sun, 20 Aug 2017 11:13 PM (IST)

    बिहार में यदि समय रहते बांधों की मरम्‍मत की जाती तो यह तबाही का मंजर नहीं दिखता। न तो बांध की मरम्मत का कार्य किया गया और न ही कटावरोधी कार्य के लिए पुख्ता इंतजाम ही किए गए।

    ग्राउंड जीरो रिपोर्ट: दरके बांध की मरम्मत होती तो नहीं दिखता तबाही का मंजर

    सीतामढ़ी [जेएनएन]। बागमती प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राजेंद्र प्रसाद जायसवाल ने संभावित बाढ़ के मद्देनजर मरम्मत कार्य को लेकर कहा था कि पिछले तीन वर्षों से सीतामढ़ी में बाढ़ नहीं आ रही है। इस बार संभावित बाढ़ के मद्देनजर संवेदनशील स्थलों को चिह्नित कर लिया गया है।

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    बाढ़ के दिनों में कटावरोधी कार्य के लिए पर्याप्त संख्या में बोरा और मिट्टी का भंडारण कर लिया गया है। क्षतिग्रस्त बांध को चिह्नित किया जा रहा है। रिपोर्ट के आलोक में मरम्मत का कार्य शुरू किया जाएगा।

    समय बीतता गया। न तो बांध की मरम्मत का कार्य किया गया और न ही कटावरोधी कार्य के लिए पुख्ता इंतजाम ही किए गए। फिर प्रकृति ने अपना प्रकोप दिखा दिया। दरके बांध टूट गए और जिले में तबाही मची। तबाही देख जिला प्रशासन ने कठोरता दिखाई और बागमती प्रमंडल की कार्यशैली से विभाग को अवगत कराया।

    बागमती प्रमंडल के अभियंता इन दिनों तटबंध सुरक्षात्मक कार्य में लगे हैं। लेकिन, इनकी करतूत से आक्रोशित ग्रामीण भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अभियंता तटबंध पर ग्रामीणों के कोपभाजन का शिकार हो रहे हैं तो प्रशासन की ओर से कार्रवाई का डंडा दिखाया जा रहा है।

    बाढ़ से पहले सहायक अभियंता प्रियदर्शी मनोज कुमार ने भी कहा था कि कटावरोधी कार्य की पूरी तैयारी है। पर्याप्त संख्या में बोरे का भंडारण है। 15 जून से पहले मरम्मत का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। बागमती नदी का जलस्तर कम हो रहा है और तटबंध सुरक्षात्मक कार्य भी शुरू किया गया है। लेकिन, यहां भी बागमती के अधिकारी से संवेदक तक अपनी जेब गर्म करने से नहीं चूक रहे। दस बोरे का काम एक ही बोरे में समेट 9 बैग और इसमें रखे जाने वाली सामग्री की राशि गोल कर रहे हैं।

    शिवहर सांसद रमा देवी एवं डीएम ने कार्यस्थल पर जाकर भौतिक सत्यापन किया। जिसमें मामला सत्य पाया गया। बांध मरम्मत का कार्य नहीं होने से रुन्नीसैदपुर प्रखंड के मानपुर रत्नावली, हरदिया, मधौलसानी, कटौझा, खड़का, शिवनगर, रक्सिया आदि इलाकों में तबाही मची।

    इलाके के करीब 17 हजार की आबादी विस्थापित हुई है। यही हाल बैरगनिया, सुप्पी, परसौनी, बेलसंड, सुरसंड, सोनबरसा, बथनाहा, रीगा, बाजपट्टी, परिहार, पुपरी आदि प्रखंडों का है। बाढ़ के पूर्व बांधों पर हुई रेनकट की मरम्मत के लिए स्थानीय लोग दौड़ लगाते रहे, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

    इधर, मधौलसानी के रणधीर सिंह, रामबालक सिंह, माधव कुमार आदि बताते हैं कि बांध की मरम्मत एवं विस्थापितों के पुनर्वास के लिए हाकिम के दफ्तरों का चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई नहीं सुनता।

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    जहां तक बाढ़ पूर्व बांधों की मरम्मत का सवाल है, इस संबंध में अभियंताओं को निर्देश गया था। मरम्मत को लेकर उठ रहे सवाल को लेकर विभाग को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। विभाग के निर्देश के आलोक में दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
    -राजीव रौशन, जिलाधिकारी, सीतामढ़ी

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