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    बाजार पर चढ़ने लगा होली का रंग

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 04 Mar 2017 02:05 AM (IST)

    जैसे-जैसे दिन करीब आ रहा है, होली का रंग बाजार पर चढ़ने लगा है। ...और पढ़ें

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    बाजार पर चढ़ने लगा होली का रंग

    मुजफ्फरपुर। जैसे-जैसे दिन करीब आ रहा है, होली का रंग बाजार पर चढ़ने लगा है। रंग-अबीर के साथ पिचकारियों और मुखौटों से बाजार सज गए हैं। बाजार में रंग-अबीर व पिचकारी के साथ-साथ आकर्षक मुखौटे भी दिखाई पड़ रहे हैं। इस बार बाजार में यमराज, राक्षस, डेरेमन आदि के मुखौटे उपलब्ध हैं। साथ ही, राजस्थानी मोदी टोपी भी मिल रही है। सामान्य पिचकारी के साथ-साथ कई प्रकार की डिजाइनवाली पिचकारियां भी उपलब्ध हैं। मैट्रिक परीक्षा के बावजूद बच्चे होली को लेकर काफी उत्साहित हैं। वे अपने-अपने तरीके से होली की तैयारी कर रहे हैं। छाता बाजार स्थित पिचकारी विक्रेता इरशाद ने बताया कि अबकी बार बच्चों व युवाओं को लुभाने वाली पिचकारी और सुंदर-सुंदर टोपिया आई हैं। ड्रैगन मुखौटा, डेरेमन मुखौटा, डेरेमन टैंक, एसएलआर गन, चक्री गन व गैलन गन की विशेष डिमांड है। बाजार में केमिकल रंग के साथ-साथ फूलों की पंखुड़ियों से बने रंग की भी माग है। अरारोट युक्त सुगंधित अबीर-गुलाल भी मिल रहा है। बाजार में पैकेट के अनुसार इसकी कीमत रखी गई है।

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    सामग्री कीमत

    ड्रैगन टोपी 90-150

    कलर स्प्रे 20-60

    कलर फॉग स्प्रे 20-100

    पेंट स्प्रे 20-100

    यमराज मुखौटा 30-180

    मोदी टोपी 50

    राक्षस मुखौटा 100-200

    ड्रैगन मुखौटा 100-200

    डेरेमन मुखौटा 5-40

    डेरेमन टैंक 150-500

    एसएलआर गन 40-400

    चक्री गन 100-300

    गैलन गन 100-400

    फॉग स्टीक 100-200

    होली मनेगी 13 को

    मुजफ्फरपुर। रंगों का त्योहार होली दो दिन मनाया जाता है। एक दिन होलिका दहन के रूप में और अगले दिन धुलंडी के रूप में। पंडितों के मुताबिक, इस साल होलिका दहन 12 मार्च और अगले दिन 13 मार्च को लोग रंगों के इस त्योहार का आनंद लेंगे। सदर अस्पताल स्थित मां सिद्धेश्वरी दुर्गा मंदिर के पुजारी पं. देवचंद्र झा बताते हैं कि पहले दिन सूरज ढलने के बाद होलिका दहन किया जाता है। इस दिन महिलाएं एक लोटा जल, चावल, धूपबत्ती, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल और नारियल से होलिका का पूजन करती हैं। वे होलिका के चारों ओर कच्चे सूत को सात बार परिक्रमा करते हुए लपेटती हैं। फिर लोटे का शुद्ध पानी और अन्य पूजन सामग्री एक-एक कर होलिका की पवित्र अग्नि में डालती हैं। होलिका दहन के अगले दिन लोग होली खेलते हैं।