Bihar News: मिथिला की पंजी व्यवस्था से जुड़ा है मुक्तेश्वर स्थान का इतिहास
Madhubani News मुक्तेश्वर स्थान की भूमि पर अब नजर नहीं आता प्राचीन टीला। करीब दस एकड़ में फैली भूमि पर दो दशक पूर्व तक कई टीला देखने को मिलता था। अब कुछ अतिक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर खेती करना शुरू कर दिया।
मधुबनी, जासं। ऐतिहासिक विरासत, धरोहर, पुरास्थलों से मिथिला का प्राचीन इतिहास जुड़ा है। मिथिला के प्राचीन इतिहास से जुड़े जिले की अंधराठाढ़ी प्रखंड की ऐतिहासिक, प्राचीन धार्मिक स्थलों की खोदाई से यहां की प्राचीन इतिहास, सभ्यता, कला, संस्कृति रहन-सहन को सामने लाया जा सकता है। इससे पूर्व इन स्थलों का संरक्षण आवश्यक हो गया है। इस कड़ी में अंधराठाढी प्रखंड में देवहार स्थित मुक्तेश्वर स्थान व इसके ऐतिहासिक भूमि का संरक्षण जरूरी हो गया है। यह स्थान मिथिला की प्रसिद्ध पंजी व्यवस्था (13-14वीं शताब्दी) से संबद्ध माना जाता है।
मिले चुके हैं गुप्तोत्तर कालीन भगवान विष्णु, गणेश व अन्य मूर्तियां एवं पुरावशेष :
मिथिला का प्रसिद्ध पुरास्थल के रूप में करीब दस एकड़ में फैले मुक्तेश्वर स्थान पर की भूमि से समय-समय पर प्राचीन मूर्तियां एवं पुरावशेष प्राप्त होते रहे है। जिनमें गुप्तोत्तर कालीन भगवान विष्णु एवं गणेश, पालकालीन सद्योजात, कर्णाटकालीन महिषासुरमर्दिनी एवं विष्णु प्रतिमा की पादपीठ के अलावा गणेश की भग्न कुल्हारी, सूर्य आदि प्रमुख हैं। पुरास्थल पर कुछ वर्ष पूर्व तक प्राचीन नगर के अवशेष, बर्तन के टुकड़े आदि मिलते रहे है।
धरोहर मुक्तेश्वर स्थान को संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल करना आवश्यक
प्राचीन धरोहर मुक्तेश्वर स्थान को संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल करना आवश्यक हो गया है। इसकी दस एकड़ में फैली भूमि पर दो दशक पूर्व तक कई टीला देखने को मिलता था। इन टीलों को अतिक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर खेती-बाड़ी करना शुरू कर दिया। इस पुरास्थल का दो दशक से अतिक्रमण जारी है। इसकी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अब तक का प्रयास फाइलों में सिमट कर रह गया है। एक दशक पूर्व तत्कालीन विधान पार्षद बालेश्वर सिंह भारती द्वारा विधान परिषद में मुक्तेश्वर स्थान की जमीन को संरक्षित करते हुए इस स्थान को अतिक्रमण से मुक्त करने का मामला उठाया था। मगर, धरातल पर कोई कार्रवाई देखने को नहीं मिला है। मुक्तेश्वर स्थान की भूमि को अतिक्रमण से रोकने के लिए एक दशक से स्थानीय लोगों की जिला प्रशासन व सरकार से गुहार का अब तक कोई असर दिखने को नहीं मिला है। मुक्तेश्वर स्थान की जमीन की सही चहारदीवारी नहीं हो सकी। स्थान खुला होने से इसकी जमीन पर अवैध निर्माण आज भी चल रहा है। पुरास्थल की मिट्टी काटने से इस स्थल की महत्त्व पर खतरा बढता जा रहा है।
मुक्तेश्वर स्थान के संरक्षण के लिए जिलाधिकारी को दिया पत्र
वाचस्पति स्मारक निर्माण समिति, अंधराठाढ़ी के अध्यक्ष रत्नेश्वर झा ने बताया कि अंधराठाढ़ी के मुक्तेश्वर स्थान, वाचस्पति डीह जैसे ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर राजस्व में बढ़ोतरी की जा सकती है। इससे युवाओं को रोजगार का अवसर बहाल हो सकता है। वहीं मिथिला ललित संग्रहालय, सौराठ के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिवकुमार मिश्र ने बताया कि जिलाधिकारी को करीब तीन माह पूर्व एक पत्र देकर पुरातात्विक महत्व के मुक्तेश्वर स्थान के संरक्षण के लिए आग्रह किया गया है।