राज्यपाल ने विधि स्नातकों से कहा, मुकदमे में जीत हासिल करना बड़ी बात नहीं, सबसे ज्यादा जरूरी न्याय दिलाना
श्री कृष्ण जुबली ला कालेज में एकेडमिक भवन के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित समारोह में राज्यपाल ने कहा कि हमारी पौराणिक परंपरा में जब राजा मर्यादा का उल्लंघन करता था तब ऋषि और महर्षि हस्तक्षेप करते थे। उसे सही रास्ता दिखाते थे। मौजूदा व्यवस्था में यही कार्य अदालत को सौंपा गया है। कहा भारत की संस्कृति आत्मा और संवेदना से परिभाषित होती है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहा कि भारत की संस्कृति आत्मा और संवेदना से परिभाषित होती है। हमने रंग रूप भाषा पूजा पद्धति किसी को भी आधार नहीं बनाया है। हर किसी की आत्मा के रूप में एक ही परमात्मा विद्यमान है। हमारी संस्कृति हमें विविधताओं का सम्मान करना सिखलाती है।
वे बुधवार को श्री कृष्ण जुबली ला कालेज में एकेडमिक भवन के उद्घाटन के बाद आयोजित समारोह में व्याख्यान दे रहे थे। विधि स्नातकों के बीच उन्होंने कहा कि मुकदमे में जीत हासिल करना बड़ी बात नहीं है। सबसे ज्यादा जरूरी है न्याय दिलाना। उन्होंने कहा कि हमारी पौराणिक परंपरा में जब राजा मर्यादा का उल्लंघन करता था तब ऋषि महर्षि हस्तक्षेप कर उसे सही रास्ता दिखाते थे। मौजूदा व्यवस्था में आज यही कार्य अदालत को सौंपा गया है।
विदुर नीति से एक श्लोक का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि जो मर्यादा का सम्मान करता है उल्लंघन नहीं करता वह पुरुषोत्तम कहलाता है। इससे पहले बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीसी राय ने कहा कि श्री कृष्णा जुबली का कालेज 1948 में स्थापित है। जब इसकी स्थापना हुई उस वक्त पूरे बिहार और झारखंड में यह दूसरा कालेज था।
उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय को आटोनामस बनाने की दिशा में प्रयास करने की जरूरत है। स्वागत भाषण कालेज की सचिव डा. उज्ज्वला मिश्रा ने किया। इस अवसर पर एलएलबी और बीए एलएलबी में प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली छात्राओं को सम्मानित किया गया।
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