George Fernandes Jayanti : प्राकृतिक चिकित्सा से पूर्व रक्षा मंत्री का था गहरा लगाव
मुजफ्फरपुर प्रवास के दौरान प्रतिदिन सुबह मिट्टी का लेप कर आधा घंटे रहने थे धूप में । शाम में लेते थे स्टीम बाथ प्राकृतिक चिकित्सक शिवेंद्र करते थे उनकी चिकित्सा । उनका अधिकतर भोजन शाकाहारी ही होता था।

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस की कर्मभूमि मुजफ्फरपुर की धरती रही है। वे यहां से पांच बार सांसद रहे। जॉर्ज का प्राकृतिक चिकित्सा से गहरा लगाव था। यहां जब भी आते, इसके लिए समय अवश्य निकालते थे। उनका अधिकतर भोजन शाकाहारी ही होता था। अपना काम खुद करते थे। 1977 में मुजफ्फरपुर से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद जॉर्ज का यहां से गहरा जुड़ाव हो गया। वर्ष 2004 में चुनाव के दौरान यहां उनका प्रवास छोटी सरैयागंज निवासी समाजवादी नेता कमलेश्वरी प्रसाद सिन्हा 'कमलू बाबूÓ के यहां हुआ। यहीं पर प्राकृतिक नेचुरोपैथी व योग प्रशिक्षक शिवेंद्र कुमार की मुलाकात जॉर्ज से हुई। तब वे दरभंगा के प्राकृतिक चिकित्सक चंद्रमोहन सिन्हा के साथ आए थे। बातचीत में उनका प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जुड़ाव सामने आया।
शिवेंद्र कहते हैं कि इसके बाद तो जॉर्ज जब भी मुजफ्फरपुर आते, उनसे प्राकृतिक चिकित्सा कराते थे। वे उनका प्रतिदिन सुबह मिट्टी का लेप करते थे। आधा घंटे तक धूप में रहने के बाद स्नान करते थे। जब वे चुनाव प्रचार कर शाम में लौटते थे तो उन्हेंं स्टीम बाथ दिलाते थे। शिवेंद्र कहते हैं कि वे उनकी चिकित्सा के लिए गांव से पांच फीट नीचे से तक खोदाई कर बिल्कुल साफ मिट्टी लाते थे। प्राकृतिक चिकित्सा के दौरान देश की समस्याओं खासतौर पर युवाओं को रोजगार देने पर चर्चा होती है। इसकी वे चिंता करते थे। शिवेंद्र कहते हैं कि मिट्टी की चिकित्सा से पाचन ठीक होता है। ब्लड प्रेशर सहित अन्य रोगों में फायदा होता है। स्टीम बाथ से शरीर के रोम-रोम से गंदगी निकल जाती है। ताजगी मिलती है।
दिवगंत कमलेश्वरी प्रसाद सिन्हा के पुत्र महानगर जदयू अध्यक्ष अंबरीश सिन्हा कहते हैं कि जॉर्ज साहब सादगी भरा जीवन जीते थे। रात 10 बजे के बाद भोजन नहीं करते थे। रात में रोटी, हरी सब्जी व हाजीपुर वाला चीनिया केला का सेवन करते थे। इसके बाद बिना चीनी वाला एक गिलास दूध पीकर सो जाते थे। सोने से पहले अपना कपड़ा खुद धोकर पसार देते थे। यहां कभी लांड्री में धुला कपड़ा नहीं पहने। सुबह के नाश्ते में दूध, केला, ब्रेड, अंडा लेते थे। दिन के भोजन में रोटी, हरी सब्जी व मछली पसंद थी।
कार्यकर्ताओं को सम्मान देते थे जॉर्ज :सांसद
सांसद अजय निषाद कहते है जार्ज के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। वह छोटे कार्यकर्ताओें का उत्साह बढाते रहे। मुजफ्फरपुर में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।उनके साथ चुनाव प्रचार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले शामिल महानगर जदयू के पूर्व अध्यक्ष प्रो.शब्बीर अहमद ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद वह कभी अभिनंदन सभा नहीं करने दिए। अभी जीतने के बाद नेता का एक माह तक अभिनंदन चलते रहता है। यह एक मिशाल है।
इस तरह से बन गया कमलू बाबू सेू पारिवारिक संबंध
जार्ज साहब के अति निकट रहे उनके सानिध्य में चुनाव लडे बीआरबीए के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सीनडिकेट सदस्य समाजवादी डा.हरेन्द्र कुमार ने बताया कि 1988 में मोतीपुर चीनी मिल खुलवाने के सवाल पर आंदोलन हुआ। आंदोलन के बाद मुख्य रूप से पूर्व मंत्री रापरीक्षण साहू, पूर्व शशि राय, पूर्व मंत्री रमई राम, पूर्व केन्द्रीय मंत्री उषा सिन्हा, पूर्व एमएलए अरूण कुमार सिन्हा, पूर्व मंत्री रामविचार, पूर्व विधधायक महेश्वार यादव जेल गए।जेल में आंदोलनकारियो पर लाठी चार्ज हुआ। इसकी सूचना जार्ज को मिली। डा. कुमार ने कहा कि वह दिल्ली गए तथा वहां से जार्ज साहब के साथ दिल्ली से आए । कंपनी बाग में जनसभा करने के बाद कमलू बाबू के आवास पर जाकर आंदोलनकारियों से बातचीत की। उसके बाद उनसे पारिवारिक रिश्ता बना और बाद के दिन में वह वहीं से चुनाव भी लड़े ।
यह रही उनकी मुख्य देन
कुटीर व लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मुजफ्फरपुर में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विकास संस्थान की एक इकाई की स्थापना कराई थी। यहां 22 जिलों के उद्यमियों को तकनीकी एवं प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाती है। महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने के लिए 1978 में लिज्जत पापड़ की इकाई स्थापित कराई। मुजफ्फरपुर में देश के पांचवें दूरदर्शन केंद्र की स्थापना कराई थी। इस तरह से उनके कई योगदान मे बगहा छितौनी रेलपुल, कांटी थर्मल पावर, बेला औद्योगिक क्षेत्र, आईडीपीएल, ईएसएमई मंत्रालय की एक यूनिट का कार्यालय खुलवाय , मधौल पावर ग्रिड मुख्य देन मं शामिल है।
लीची उनकाे था प्रिय
पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा ने कहा कि जार्ज साहेब को मुजफ्फरपुर की लीची बहुत पसंद थी। वह हर साल यहां की शाही लीची उनको पहुंचाते रहे। एक बार वह अचानक उनसे मिलने दिल्ली गए तो वह पूछ दिए कि लीची क्या हुआ। उसके बाद यहां से विशेष दूत से उनको मंगाकर देने के बाद दिल्ली से आए। उनके जैसा नेता अब कहां मिलने वाला।
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