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    किसान दिवस 2021: बिहार की किसान चाची ने खेती में कायम की मिसाल

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 23 Dec 2021 09:44 AM (IST)

    Farmers Day 2021 बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में किसानश्री सम्मान दिया। उसके बाद राजकुमारी बन गईं किसान चाची। इसके बाद गांव की पगडंडियों से ऊपर महानगर का रुख किया। दिल्ली गुजरात समेत कई जगहों पर किसान मेले में अपने उत्पादों का स्टाल लगाया।

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    बंदरा के किसान ने आधुनिक खेती की ताकत से पाया किसान भूषण।

    मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। Farmers Day 2021:हाल के दिनों में खेती और इसके तरीकों में काफी बदलाव आया है। खेती हल और बैलों की जोड़ी से निकलकर ड्रोन तक पहुंच गई है। इन संसाधनों के इस्तेमाल से किसान सफलता प्राप्त कर रहे हैं।

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    अपनी मेहनत से चाची ने बनाई पहचान

    महिला सशक्तीकरण की मिसाल राजकुमारी देवी जिला ही नहीं, बड़ी हस्तियों की भी प्रेरणास्रोत हैं। इसमें पीएम मोदी, अमिताभ बच्चन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं। राजकुमारी देवी कहती हैं कि शादी के कई वर्ष तक संतान नहीं होने के कारण पहले से तिरस्कार झेल ही रही थी। उसपर खेती शुरू की। परिवार के साथ अब समाज ने बहिष्कृत कर दिया। मगर, यह सफर शुरू हुआ तो पारिवारिक कारवां भी आगे बढ़ा। दो बेटियां व एक बेटे के रूप में तीन संतानों का जन्म भी हुआ। राजकुमारी ने खेती के साथ छोटे-मोटे कृषि उत्पाद बनाने शुरू किए। साथ ही साइकिल उठाई और मेला-ठेला व घर-घर जाकर इसकी बिक्री शुरू की। तब पति अवधेश कुमार चौधरी भी नाराज हो गए। बाद में उनका साथ मिला। बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में किसानश्री सम्मान दिया। उसके बाद राजकुमारी बन गईं किसान चाची। इसके बाद गांव की पगडंडियों से ऊपर महानगर का रुख किया। दिल्ली, गुजरात समेत कई जगहों पर किसान मेले में अपने उत्पादों का स्टाल लगाया। केंद्र सरकार ने भी उनके संकल्प को पद्मश्री सम्मान देकर नवाजा। वह कहती हंै कि एक साथ दो फसल कर किसान समृद्ध हो सकता है। वह खुद आलू के साथ गोभी की खेती कर रही हैं।  

    स्प्रे विधि को अपना रहे किसान बंदरा चांदपुरा निवासी किसान भूषण

    सतीश कुमार द्विवेदी कहते हैं कि फार्टिलाइजर का स्प्रे विधि से खेती पर प्रयोग कर रहे हैं। पिछली बार ट्रायल की। इस बार पूरी तरह से उसपर आश्रित हैं। उनकी देखा-देखी अब कई किसान इस विधि को अपना रहे हंै। उर्वरक की किल्लत व ऊंचेे दाम पर बिक्री को लेकर मन में ख्याल आया। इस प्रयोग को किया। किसान सतीश बताते हैं कि एक एकड़ में दो से तीन हजार का खाद यूरिया, डीएपी व पोटाश डालना पड़ता है। लेकिन इस विधि से 600 से 700 में काम चल जाता है। पिछले साल प्रयोग के तौर पर एक एकड़ में गेहूं की खेती की। इस विधि से 18 क्विंटल 40 किलो अनाज आया। जिसमें इस विधि से नहीं लगाया गया, उसमें पूरा डोज दिया गया तो 19.5 क्विंटल के बीच में उपज हुई। इस बार पांच किसान इस विधि से गेहूं, तोरी, आलू की खेती उनकी देखरेख में कर रहे हंै। गन्ना के साथ आलू व गन्न के साथ गेहूं की खेती कर रहे हंै। 10 साल से इस विधि से कर रहे हैं। यह भी बेहतर उपज के लिए ठीक है। थोड़ा सजग रहना पड़ता है कि आर्मी वर्म का प्रभाव नहीं हो। हल-बैल की जगह पर यंत्रीकरण की जरूरत है।

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