लीची किसानों के लिए बुरी खबर, मिलीबग कंट्रोल नहीं हुआ तो मंजर पर बुरा प्रभाव
मुजफ्फरपुर में लीची के बागों पर मिलीबग कीट का खतरा मंडरा रहा है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के अनुसार, यह कीट अ ...और पढ़ें

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी। जागरण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar News: आम के बागों को प्रभावित करने वाला कीट अब लीची के बागों में भी पांव पसार रहा है। इससे लीची उत्पादन पर खतरा बढ़ गया है। मीलीबग का प्रकोप सबसे पहले अप्रैल के दूसरे सप्ताह में दिखाई देता है और फल तुड़ाई तक बना रहता है।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र इस कीट की पहचान के बाद इसके व्यवहार व प्रसार को लेकर अध्ययन कर रहा है। जानकारी के अनुसार कीट के निम्फ व वयस्क अवस्था दोनों ही कोमल टहनियों, पुष्पमंजरियों व फल डंठलों का रस चूसते हैं।
इससे पत्तियां मुड़ने लगती हैं, पीली पड़ जाती हैं, टहनियां सूखने लगती हैं और फूल व छोटे फल समय से पहले झड़ जाते हैं। इससे फल धारण क्षमता घटती है और उत्पादन में भारी कमी आ जाती है।अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा.बिकास दास ने बताया आम मीलीबग अब लीची के लिए बिहार का प्रमुख कीट बन चुका है। इसकी समय रहते पहचान व नियंत्रण आवश्यक है।
किसानों को अप्रैल की शुरुआत से ही बागानों की नियमित निगरानी करनी चाहिए। मई में प्रकोप चरम पर पहुंचने से पहले एकीकृत कीट प्रबंधन उपाय अपनाना जरूरी है। समय पर की गई कार्रवाई से लीची की फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है।
मीलीबग पर अप्रैल 2023 से चल रहा शोध : लीची अनुसंधान केंद्र के अनुसार इस कीट पर अप्रैल 2023 से जून 2025 के बीच केंद्र के प्रायोगिक प्रक्षेत्र में अध्ययन किया गया। विज्ञानियों ने लीची पेड़ों पर मीलीबग की मौसमी गतिविधि व संख्या वृद्धि की निरंतर निगरानी की।
अध्ययन में पाया गया कि मिलीबग का प्रकोप अप्रैल के दूसरे सप्ताह से शुरू होता है और फल तुड़ाई तक जारी रहता है। वर्ष 2023–24 में इसका प्रभाव मई के पहले सप्ताह में अधिक था, जबकि 2024–25 में यह प्रकोप मई के दूसरे सप्ताह में चरम पर दिखा। इससे फल धारण क्षमता कम हो जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है। नए अध्ययन के निष्कर्षों से कृषि विभाग को अवगत कराया गया है।
किसानों के लिए जारी एडवाइजरी
- अप्रैल की शुरुआत से नियमित निगरानी करें ताकि निम्फ व वयस्क कीट की प्रारंभिक उपस्थिति का पता चल सके। पता लगते ही जून–अगस्त (आफ-सीजन) व आवश्यकता अनुसार अक्टूबर–नवंबर में अंडे गुच्छों और संक्रमित छाल को खुरचकर नष्ट कर दें।
- मार्च के अंतिम सप्ताह से अप्रैल के पहले सप्ताह तक पेड़ों पर स्टिकी या अल्काथीन बैंड लगाएं, जिससे मिट्टी से ऊपर चढ़ने वाले निम्फ को रोका जा सके।

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