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    Kisan Chaupal: संसाधन की कमी और सरकारी उपेक्षा के कारण मुनाफे से अधिक नुकसान उठा रहे किसान

    Updated: Tue, 04 Jun 2024 04:12 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर जिले के पानापुर प्रखंड के महम्मदपुर गांव में मंगलवार को किसान चौपाल का आयोजन किया गया। इस दौरान किसानों के बीच संसाधन हीनता का दर्द छलक। किसानों ने बताया कि वे आज भी सरकारी सिस्टम की उपेक्षा के शिकार है। किसानों ने बताया कि वे अपने निजी संसाधन के दम खेतीबाड़ी कर रहे हैं। इसके साथ ही वे जंगली जानकारों के आक्रमण से दुखी हैं।

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    किसान चौपाल में छलका किसानों का दर्द

    संवाद सूत्र, जागरण, पानापुर। सरकारी स्तर पर किसानों की स्थिति सुधारने के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद किसान आज भी मौसम आधारित खेती पर निर्भर है। इस कारण उन्हें खेती किसानी में मुनाफा कम और नुकसान अधिक उठाना पर रहा है। किसानों की समस्याओं को लेकर दैनिक जागरण द्वारा चलाए जाए रहे अभियान के तहत मंगलवार को पानापुर प्रखंड के महम्मदपुर गांव में किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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    किसान चौपाल पर छलका किसानों का दर्द

    पानापुर प्रखंड के महम्मदपुर गांव में आयोजित किसान चौपाल में किसानों के बीच संसाधन हीनता का दर्द छलक। किसानों ने बताया कि वे आज भी सरकारी सिस्टम की उपेक्षा के शिकार है। गांव के बुजुर्ग किसानों ने बताया कि गांव में दशकों पूर्व नहर की खुदाई हुई थी, लेकिन आज तक कभी भी उसमें पानी नही आया।

    उसके रख-रखाव साफ सफाई के नाम पर हमेशा पैसे की बंदर बांट होती है। हाल के दिनों में सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए खेतों तक बिजली का का लाईन दौड़ाया गया, लेकिन उसका भी लाभ हम किसान नही उठा सके। चालू होने से पहले ही चोरों द्वारा तार व ट्रांसफार्मर चोरी कर ली गई।

    जंगली जानवर पहुंचा रहे नुकसान

    किसान सुरेश प्रसाद ने बताया कि अपने संसाधन के दम कुछ खेतीबाड़ी हो भी रही है तो उसे जंगली जानवरों बचा पना मुश्किल हो रहा है। इलाके में नीलगाय, बंदर एवं जंगली सुअर का आतंक कायम है। उससे फसलों को बचा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है।

    किसान राजेश कुमार ने बताया कि हम सभी किसान मौसम आधारित खेती पर निर्भर है। जिस कारण प्रायः फसले बाढ़ सुखार की भेंट चढ जाती है। भंडारण एवं बाजार की उपलब्धता नहीं रहने से जो फसल होती भी है उसे औने-पौने दाम पर बेचना पड़ जाता है।

    बिजली विभाग के लगाने पड़ते हैं चक्कर

    किसान शैलेश कुमार साह ने बताया कि एग्रीकल्चर लाइन लेने के लिए बिजली विभाग का चक्कर लगाना पड़ता है। इसको लेकर विभागीय लोग उदासीन बने हुए है। किसान संवाद में उपस्थित प्रगतिशील किसान मनोज कुमार गुप्ता ने किसानों को खेती किसानी के बारिकियों के बारे में बिस्तार से बताया। इस मौके पर देवेंद्र राम, रजनीश कुमार, विकास कुमार, रवि कुमार, छठु कुमार सहित दर्जनो किसान व ग्रामीण उपस्थित थे।

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