'भइया का कहत हउअ, इहां हमार बचपन बितल बा...' प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक छन्नूलाल का मुजफ्फरपुर से रहा गहरा नाता
पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का मुजफ्फरपुर से गहरा नाता था उन्होंने बचपन बिताया और संगीत की शिक्षा ली। वे अपने पिता के साथ यहाँ आए और किराना घराना के उस्ताद अब्दुल गनी खान से संगीत सीखा। उनके निधन से शहर के कलाकारों में शोक की लहर है जो उनके साथ बिताए पलों को याद कर रहे हैं। उन्होंने मुजफ्फरपुर को अपनी यादों में हमेशा बसाए रखा।

अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का मुजफ्फरपुर से भी गहरा लगाव था। यहां उनका बचपन ही नहीं बीता, संगीत की शिक्षा भी मिली। पिता बद्री प्रसाद मिश्र उर्फ बद्री गुरु के साथ वह आज़मगढ़ जिले के हरिहरपुर से यहां आए थे। नौ वर्ष की उम्र से चतुर्भुज स्थान मंदिर के पास रहते थे।
मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित नवलकिशोर मिश्र ने बताया कि लगभग नौ साल पहले छन्नूलाल मिश्र एक कार्यक्रम में यहां आए थे। भ्रमण के दौरान उन्होंने कहा था, भइया का कहत हउअ, इहां हमार बचपन बितल बा।
उस दिन उन्होंने दूध वाली चाय पी और विदाई ली। उनके निधन से शहर के कलाकारों और संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। लोग उनके साथ गुजरे पलों को याद कर भावुक हो रहे हैं।
मगध महिला महाविद्यालय के संगीत विभाग के प्राध्यापक डा. अरविंद कुमार ने कहा कि पंडित छन्नूलाल मिश्र मुजफ्फरपुर पिता और प्रारंभिक गुरु बद्री प्रसाद मिश्र के साथ यहां समय बिताया।
उन्होंने तीन कोठिया के किराना घराना से जुड़े उस्ताद अब्दुल गनी खान से संगीत की शिक्षा ली थी। वे यहां चतुर्भुज मंदिर में संगीत का रियाज करते थे। उनके निधन को एक युग का अंत बताते हुए उन्होंने कहा कि मिश्र शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, सुगम और लोक संगीत यानी गायन में हर शैली के सिद्धहस्त कलाकार थे।
उनके रिश्तेदार और संगीत शिक्षक शिवशंकर मिश्र ने बताया कि पंडित मिश्र मुजफ्फरपुर आने पर उनके घर जरूर आते। पिता नंदलाल मिश्र से मुलाकात करते। वे शाकाहारी भोजन करते थे और छोटे-बड़े सभी कलाकारों से आत्मीयता के साथ मिलते थे।
श्यामनंदन सहाय महाविद्यालय के संगीत विभागाध्यक्ष डा. राकेश कुमार मिश्र ने श्रद्धांजलि देते हुए याद किया कि एक प्रस्तुति के दौरान उन्हें पंडित मिश्र के साथ तानपुरा बजाने का अवसर मिला था।
हालांकि, अचानक उन्होंने किसी अन्य कलाकार को संगत करने के लिए चुन लिया और स्वयं आशीर्वाद दिया। ओंकार संगीत महाविद्यालय के संस्थापक अनुपम कुमार ने बताया कि 2015 में पंडित मिश्र उनके बुलावे पर मुजफ्फरपुर आए थे।
उस समय महान ठुमरी गायिका वृजबाला देवी के घर पर कलाकारों का जमावड़ा हुआ था। तब पंडित जी ने कहा था कि यह संगीत की गायकी का अंतिम दौर चल रहा है।
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