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    Uttar Pradesh का लड़का तो नटवरलाल निकला, बिहार का आवासीय और जाति प्रमाण पत्र बनवाकर लिए स्टाइपेंड के ₹1512807

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 11:55 AM (IST)

    मुजफ्फरपुर के एक होम्योपैथिक कॉलेज में उत्तर प्रदेश के छात्र ने फर्जी निवास प्रमाण पत्र देकर दाखिला लिया। कॉलेज प्राचार्य ने सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। जांच में पता चला कि छात्र ने मुशहरी प्रखंड से गलत प्रमाण पत्र बनवाए थे। प्रशासन ने जाति प्रमाण पत्र रद्द करने और नामांकन खारिज करने का अनुरोध किया है।

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। गलत ढंग से आवासीय व जाती प्रमाण पत्र बनवा कर होम्योपैथी कालेज में पीजी की सीट पर नामांकन और इसके साथ-साथ स्टाइपेंड के रुपये उठाने का मामला प्रकाश में आया है।

    गलत प्रमाण पत्र पर नामांकन

    उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक छात्र ने खुद को जिले का रहने वाला बताकर गलत आवासीय एवं जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर आरबीटीएस होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एंड अस्पताल में पीजी के सीट पर नामांकन लिया।

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    सदर थाने में प्राथमिकी

    मामला सामने आने के बाद प्राचार्य डा. प्रो. कुमार रविंद्र सिंह ने सदर थाने में प्राथमिकी कराई है। इसमें उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के हरखी, रामनगर चौराहा निवासी अमित कुमार गुप्ता को नामजद आरोपित किया है। पुलिस का कहना है कि मामला दर्ज कर लिया गया है।

    ईबीसी कोटि का बताया

    जांच कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। आवेदन में कहा कि अभ्यर्थी डा. अमित कुमार गुप्ता ने खुद को ईबीसी कोटि का बताकर मुशहरी प्रखंड से आवासीय प्रमाण पत्र एवं जाति प्रमाण पत्र के आधार पर प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर पर्षद के द्वारा 25 फरवरी 2023 की कांउसलिंग में सीट आवंटित कराकर आरबीटीएस के स्नातकोत्तर होम्योपैथिक पाठ्यक्रम में नामांकन लिया।

    मुशहरी सीओ व एसडीओ पूर्वी ने की जांच

    मुशहरी अंचल से उक्त निर्गत प्रमाण पत्र के संबंध में परिवाद प्राप्त होने पर इसकी जांच मुशहरी सीओ व एसडीओ पूर्वी से कराई गई। जांच में पता चला कि अमित गुप्ता व उनके पिता बिहार राज्य के स्थायी निवासी नहीं हैं। वे उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासी हैं।

    प्रमाण पत्र सहीं नहीं

    उनका निवास प्रमाण पत्र व जाति प्रमाण पत्र सहीं नहीं है। जिलाधिकारी से निर्गत जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का अनुरोध प्रधान सचिव सामान्य प्रशासन विभाग पटना से किया गया। मामले की जांच कर जांच प्रतिवेदन सामान्य प्रशासन विभाग पटना को उपलब्ध कराने के लिए अपर पुलिस महानिदेशक, कमजोर वर्ग, अपराध अनुसंधान विभाग से अनुरोध किया गया।

    रसीद का गलत उपयोग

    जांच प्रतिवेदन में अभ्यर्थी अमित कुमार गुप्ता का बयान है कि उनके द्वारा भूलवश मुजफ्फरपुर से जाति प्रमाण पत्र बनवाया गया। उनके मकान मालिक दीपक कुमार मालीघाट कहना है कि अमित कुमार गुप्ता को अपने भूमि की रसीद बिजली का कनेक्शन लेने के लिए दिया था, जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नहीं।

    आरक्षण का भी लाभ लिया

    तेली (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बिहार राज्य में आरक्षण का लाभ लिए जाने के दावे को सर्वसम्मति से सामान्य प्रशासन विभाग ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही नामांकन का आवंटनादेश भी रद कराया गया। स्टाइपेंड के रूप में 15 लाख 12 हजार 807 रुपये प्राप्त किया है।

    इस तरह के हो सकते कई मामले

    यह तो एक मामला है जो सामने आ गया और जांच में पकड़ लिया गया। यदि सही ढंग से जांच की जाए तो मुशहरी अंचल व प्रखंड कार्यालय से हर दिन विभिन्न प्रकार के सैकड़ों ऐसे प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे जिनक कोई आधार नहीं है।