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    पूर्वी चंपारण : कोरोना की मार से अब तक नहीं उबर सकी शिक्षा व्यवस्था, तीसरी लहर की आहट

    By Dharmendra Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sat, 01 Jan 2022 04:02 PM (IST)

    कोरोना संक्रमण की वजह से श‍िक्षा व्यवस्था ऑनलाइन विकल्प के तौर पर सामने आई है। संभव है भविष्य में यह व्यवस्था का हिस्सा भी बन जाए। क्‍योंक‍ि कोरोना क ...और पढ़ें

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    कोरोना संक्रमण की संभावना को लेकर ऑनलाइन क्‍लास बना व‍िकल्‍प। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    मोतिहारी, जासं। कोरोना संक्रमण की पिछली दो लहर से उबरने की छटपटाहट के बीच शिक्षा व्यवस्था के सामने तीसरी लहर की संभावना मुंह बाए खड़ी है। स्कूल-कॉलेजों में पिछले दो साल से जैसे-तैसे शिक्षा की गाड़ी चलती रही। इस बीच ऑनलाइन व्यवस्था को अपनाने की यथासंभव कोशिश की गई। मगर यह व्यवस्था संतोषजनक स्तर तक नहीं पहुंच सकी।

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    हालांकि ऑनलाइन व्यवस्था विकल्प के तौर पर जरूर सामने आई है। संभव है भविष्य में यह व्यवस्था का हिस्सा भी बन जाए। लंबे समय तक सरकारी व निजी विद्यालय बंद रहे हैं। बीते 16 अगस्त से शिक्षण संस्थानों में कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन के साथ व्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद शुरू हुई। लेकिन विद्यार्थियों की उपस्थिति बेहद कम रही। अब जबकि व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी थी, तभी तीसरी लहर की आहट ने सबको एक बार फिर परेशान कर दिया है। सबके सामने एक ही सवाल है कि क्या फिर स्कूल-कॉलेज बंद होंगे। जो भी हो, सरकार शिक्षा के मुद्दे पर कुछ बेहतर करने के मूड में हैं। कुछ नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति भी चर्चा एवं विमर्श का विषय है।

    - शिक्षा व्यवस्था को सु²ढ़ बनाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। यह ठीक है कि कोरोना के कारण परेशानी हुई है। स्कूल-कॉलेज भी लंबे समय तक बंद रहे। विपरीत परिस्थितियों में भी व्यवस्था को सुचारू रूप देने की हर संभव कोशिश की जाती रही है। प्रारंभिक एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्नयन बिहार योजना के माध्यम से माध्यमिक विद्यालयों में ब'चों को बेहतर एवं आधुनिक शिक्षा व्यवस्था से जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा पहली जनवरी से सौ दिवसीय पठन अभियान की शुरुआत की जा रही है।

    प्रयोगशाला, व्यायामशाला एवं पुस्तकालय का लाभ भी ब'चों को मिले इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। - संजय कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पूर्वी चंपारण।