डॉ.आर्नड की सलाह, पूरी तरह से निराश व्यक्ति से हृदय से करें सकारात्मक संवाद, दूर होगी आत्महत्या की प्रवृत्ति
एमडीडीएम कॉलेज में आत्महत्या निरोध परिप्रेक्ष्य एवं चुनौतियां विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार। विभिन्न देशों के 500 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। नीदरलैंड के साल्यूसन सेंटर के निदेशक और मनोवैज्ञानिक डॉ.आर्नड ह्यूबर ने कहा कि मानसिक रूप से निराश व्यक्ति से हृदय से सकारात्मक संवाद करना चाहिए। उन्हें जीवन को जीने के कारणों का बोध करना चाहिए। इससे उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति दूर होगी। डॉ.ह्यूबर एमडीडीएम कॉलेज के पीजी मनोविज्ञान विभाग की ओर से आत्महत्या निरोध परिपेक्ष्य एवं चुनौतियां विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे। कहा कि एक मनोवैज्ञानिक को मरीज की निराशा से ज्यादा उसके समाधान पर ध्यान देना चाहिए। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत प्राचार्य डॉ.कनुप्रिया ने किया।
लोगों को मिल-जुलकर रहने की जरूरत
कहा कि वर्तमान परिदृश्य में लोगों को मिल-जुलकर रहने की जरूरत है। एक-दूसरे की समस्याओं को सुनने और उसके समाधान पर विचार करने से समस्याएं दूर होंगी। विषय प्रवेश करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो.अलका जायसवाल ने कहा कि शिक्षक दिवस पर इस विषय पर परिचर्चा से प्रतिभागियों व उनके माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया है। दूसरे वक्ता डॉ.एलएसएस मणिकम ने मैंने कुछ बताया नहीं और उन्होंने भी कुछ पूछा नहीं नामक विचारोत्तर लेक्चर से आत्महत्या निरोध के बारे में जानकारी दी। काजी नुरूल विश्वविद्यालय आसनसोल की प्राध्यापक शुभव्रता पोद्दार ने आत्महत्या के बदलते पहलुओं पर चर्चा की। मंच संचालन प्रो.देवश्रुति घोष व संचालन डॉ.अनुराधा ङ्क्षसह ने किया। कार्यक्रम में डॉ.मीनाक्षी व डॉ.प्रिया ने अहम भूमिका निभाई। धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज की वरीय प्राध्यापक डॉ.निशिकांती ने किया। मीडिया प्रभारी प्रो.कुसुम कुमारी ने बताया कि कार्यक्रम में विभिन्न देशों से पांच सौ से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।