गरीब मरीजों को दान करें पेसमेकर, बैट्री की लाइफ बची हो तो यह जीवन भी बचा सकता
निजी अस्पताल में पेसमेकर लगाने में साढ़े तीन से पांच लाख के बीच आता है खर्च। इस्तेमाल पेसमेकर को लगाने पर आधा हो जाता खर्च जिले में कुछ डाक्टर कर रहे यह काम। इस मामले में संकट यह है कि इसके प्रति नही जागरूकता है।

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। समस्तीपुर निवासी संजय सिंह को पिछले दिनों अचानक दिल का दौरा पड़ा। उन्हें पेसमेकर लगवाना पड़ा। इसके लिए दो लाख 16 हजार रुपये खर्च करने पड़े। आपरेशन सहित अन्य खर्च मिलाकर करीब पांच लाख रुपये लग गए। अचानक इतना बड़ा आर्थिक बोझ मेडिकल इंश्यारेंस के कारण सह सके, लेकिन गरीब मरीजों के लिए यह आसान नहीं है। ऐसे में उन्हें इस्तेमाल किया पेसमेकर मिल जाए तो आसानी होगी। अब संकट यह है कि इसके प्रति न तो जागरूकता है, न ही सरकार के स्तर से कोई पहल।
पेसमेकर लगवाने वालों का सर्वे करा डाटा बनवाए सरकार
भारतीय चिकित्सक संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरीय हृदय रोग विशेषज्ञ डा. बीबी ठाकुर कहते हैं कि सरकार को आशा के जरिये एक सर्वे कराना चाहिए कि जिले में कितने लोग पेसमेकर पर हैं। अगर डाटा रहेगा तो जरूरतमंदों को इसका लाभ मिलेगा। जिले में अभी कोई ऐसी संस्था नहीं है। इसके दोबारा उपयोग के लिए सरकार की ओर से व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अगर बैट्री की लाइफ पांच साल या उससे ज्यादा बची हो तो पेसमेकर को दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है। लगाने से पहले इसे स्ट्रलाइज करना होता है। इससे संक्रमण का खतरा नहीं रहता।
दान देने के लिए आगे आएं लोग
सदर अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अनिल सिंह ने बताया कि पेसमेकर को दोबारा लगाने का प्रचलन अभी अपने यहां बहुत कम है। सरकारी अस्पताल में 75 हजार से डेढ़ लाख रुपये में पेसमेकर लग जाता है। पीएमसीएच व आइजीएमएस में इसकी सुविधा है। आयुष्मान भारत योजना में यह निशुल्क लगता है, लेकिन निजी अस्पताल में साढ़े तीन से पांच लाख के बीच खर्च आता है। यह दो तरह का होता है। एक स्थायी तथा दूसरा अस्थायी। स्थायी पेसमेकर सिंगल व डबल चैंबर का लगता है। यह मरीज की हालत पर निर्भर करता है कि उसे किस तरह के पेसमेकर की जरूरत है। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री राहत कोष से भी गंभीर मरीजों को आर्थिक मदद दी जाती है। अगर पेसमेकर दान देने के लिए लोग आगे आएं तो गरीबों की बड़ी मदद होगी।
तीन मरीजों में सफल रहा इस्तेमाल किया गया पेसमेकर
जिले में इस्तेमाल किया पेसमेकर लगाने का प्रचलन तो नहीं है, लेकिन कुछ चिकित्सक अपने स्तर पर यह काम कर रहे हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अंशु अग्रवाल कहते हैं कि अगर किसी ने पेसमेकर लगाया और उसकी मौत हो गई तो उसका उपयोग दूसरे मरीजों में होता है। उन्होंने बताया कि तीन मरीजों को इस तरह के पेसमेकर लगाए गए हैं। यह सफल रहा है। खर्च आधा से कम आया।
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