Diwali 2025: बाजार में चाइनीज लाइट पर भारी पड़ रहीं रंग-बिरंगी देसी लाइटें
Diwali 2025: मुजफ्फरपुर में धनतेरस और दीपावली के मौके पर, भारतीय झालरों ने चीनी झालरों को पछाड़ दिया है। जीएसटी कम होने से बाजार में स्वदेशी झालरों की धूम है, हालांकि वे चीनी झालरों से महंगे हैं। गाँवों तक बिक्री हो रही है, और क्रिस्टल एलईडी झालरें लोगों की पसंद बनी हुई हैं। दुकानदारों को दीपावली में अच्छे कारोबार की उम्मीद है, लेकिन वे ई-कॉमर्स की कीमतों को ध्यान में रखकर सामान बेच रहे हैं।

दीपावली को लेकर सजीं लाइट की दुकानें। जागरण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। धनतेरस और दीपावली के मौके पर बाजारों में बिकने के लिए आया चाइना के रंग-बिरंगे इलेक्ट्रिक झालर से अपना देशी इलेक्ट्रिक आइटम काफी भारी पड़ रहा है।
देसी लाइटिंग की रोशनी ने विदेशी झालरको काफी पीछे छोड़ दिया है। जीएसटी कम होने से ग्राहकों के साथ दुकानदारों में भी जबरदस्त उत्साह है। बाजारों में स्वदेशी झालरों व लाइट की धूम मची हुई हैं।
हालांकि चाइनया की राइस झालर बाजारों में सस्ते दर पर मिल रहा है, उसके अपेक्षा देशी राइस झालर उससे दोगुनी महंगी है। जिले में शहर के अलावा गांव के हर चौक-चौराहों पर भी झालर की बिक्री हो रही।
ग्राहकों को लुभाने के लिए इलेक्ट्रानिक बाजार में किसी आइटम पर छूट नहीं दी गई। दुकानदार अपने से कुछ कम दे रहे। कापर वायर, पीवीसी पाइप स्विच, बोर्ड आदि इलेक्ट्रानिक्स सामान की कीमत यथावत है।
रंग-विरंगी लाइट और झालरों की कीमत पिछले साल से थोड़ी बढ़ी हुई है। इलेक्ट्रानिक्स कारोबारी रमेश कुमार, शिवा, संतोष कुमार आदि ने बताया कि इस बार रंग बिरंगी झालरों की गारंटी भी दी जा रही।
क्रिस्टल एलइडी झालर लोगों की खास पसंद बन गई है। अधिकांश झालर दिल्ली से आ रहे। इसके अलावा अहमदाबाद, कोलकाता से भी मंगवाया गया है। ।
पैकेटों पर गांधी के चश्मा के साथ स्वच्छता अभियान का भी संदेश दे रहा। दीपावली में दुकानदारों को अच्छा कारोवार सोने की उम्मीद है। तिलक मैदान रोड, इस्लामपुर आदि जगहों पर होलसेल और प्रत्येक खुदरा विक्रेताओं को 10 लाख रुपये बिक्री की उम्मीद है।
जिले में कुछ फुटपाथी सहित करीब 300 इलेक्ट्रानिक दुकानें सज गई हैं। ई-कामर्स के रेट से मिलान खरीदारी कर रहे हैं। नामीगिरामी ई-कामर्स कंपनियों द्वारा धनतेरस, दीपावली के अवसर पर आफर दी जा रही है। इलेक्ट्रानिक होलसेल दुकानदार आलोक केजरीवाल ने बताया कि ई-कामर्स के रेट को देखकर ग्राहकों को सामान देना पड़ता है।
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