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    Keoti Election 2020: जातीय समीकरण पर भारी है विकास की भूख, दांव पर है साख

    By Murari KumarEdited By:
    Updated: Sat, 07 Nov 2020 06:59 PM (IST)

    Keoti Election News 2020 इस बार के चुनाव में एनडीए ने भाजपा से मुरारी मोहन झा को उम्मीदवार बनाया है। पहली बार यहां से ब्राह्मण चेहरा मैदान में हैं। उन ...और पढ़ें

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    केवटी विधानसभा सीट के प्रमुख उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दीकी व मुरारी मोहन झा

    दरभंगा, जेएनएन। केवटी विधानसभा सीट का इतिहास बहुत कुछ कहता है। इस सीट पर एमवाइ समीकरण का प्रभाव तो है। लेकिन, इस बार के चुनाव में एनडीए ने भाजपा से मुरारी मोहन झा को उम्मीदवार बनाया है। पहली बार यहां से ब्राह्मण चेहरा मैदान में हैं। उनके मुकाबले महागठबंधन से राजद के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी चुनावी मैदान में है। जननायक कर्पूरी ठाकुर और जेपी आंदोलन में रहे सिद्दीकी को इस बार अलीनगर से केवटी दल ने भेजा है। लेकिन, चिलचिलाती धूप में पसीने से तर-बतर नेताओं को लोग जिस तरह से सुनते हैं और खामोश हो जाते हैं, वह उन्हेंं बेचैन करती है। लोगों की यहीं खामोशी सीधी होती जंग में खड़े प्रत्याशियों के पसीने छुड़ा रही है। बताते हैं कि इस बार का चुनाव केवटी के लिए बेहद अहम इस कारण से है क्योंकि यहां कई दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है। वोटिंग की प्रक्रिया यहां पूरी हो गई है। यहां कुल 55.3 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले। 

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    प्रमुख मुद्दे 

    रोगजार और किसानी : यहां के लिए बंद पड़ी रैयाम चीनी मिल बड़ा मुद्दा है। इसकी स्थापना 27 दिसंबर 1914 को स्थापित इस चीनी मिल में सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता था। किसान नकदी फसल गन्ना की खेती कर समृद्धि की कहानी लिखते थे। लेकिन, वक्त का पहिया चला और चीनी मिल 1994 में बंद हो गई। इसी के साथ लोगों के सपने काफूर हुए। सपने आज भी अधूरे हैं। 

    पुल-पुलिया और सड़क : इलाके के लोगों के लिए  खिरोई नदी पर बरियौल को जोडऩे वाले पुल निर्माण की धीमी गति परेशानी की वजह है। इसके अतिरिक्त कई अन्य इलाकों में टूटी सड़कें इस बार के चुनाव में मुद्दा है।  लोग कहते हैं जो विकास को गति दे, उसे ही चुनना वाजिब है। हम वहीं करेंगे। 

    15 प्रत्याशी हैं मैदान में 

    इस बार यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के मुरारी मोहन झा एवं राजद के  अब्दुलबारी सिद्दिकी के बीच है। हालांकि यहां से चुनाव मैदान में 15 प्रत्याशी है।

    1. मुरारी मोहन झा (भाजपा)

    2. अब्दुलबारी सिद्दिकी (राजद)

    3. माधव कुमार चौधरी (द प्लूरल्स पार्टी)

    4. योगेश रंजन (निर्दलीय)

    5. भोला साहू (निर्दलीय)

    6. मणिकांत मणि (निर्दलीय)

    7. संजीव कुमार हिमांशु (निर्दलीय)

    8. मो. समीउल्लाह खान (जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक)

    9. चांद बाबू रहमान (एनसीपी)

    10. फैजुर्रहमान (समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक)

    11. शेखर कुमार (राष्ट्रीय जन विकास पार्टी)

    12. दीपक कुमार झा (निर्दलीय)

    13. प्रियंका कुमारी (निर्दलीय)

    14. मधुरंजन प्रसाद (राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी से.)

    15. महेश पूर्वे (भारत जन जागरण दल)

    अबतक के विधायक 

    1967- हुकुमदेव नारायण यादव (संसोपा)

    1969- हुकुमदेव नारायण यादव (संसोपा)

    1972- हुकुमदेव नारायण यादव (संसोपा)

    1977- दुर्गा दास राठौर (जनता पार्टी)

    1980- श्यायले नबी (कांग्रेस)

    1985- कलीम अहमद (कांग्रेस)

    1990- गुलाम सरवर (जनता दल)

    1995- गुलाम सरवर (जनता दल)

    2000- गुलाम सरवर (राजद)

    2005- अशोक कुमार यादव (भाजपा फरवरी व नवंबर के चुनाव में)

    2010- अशोक कुमार यादव (भाजपा)

    2015- डॉ. फराज फातमी (राजद)