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    प्राचार्यों की नियुक्ति तक BRA Bihar University प्रशासन ने व्यय पर लगा दी थी रोक, कालेजों ने खर्च कर दिए लाखों

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 12:40 PM (IST)

    BRA Bihar University बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने कालेजों में वित्तीय अनियमितताओं पर सख्ती दिखाते हुए खर्च का ब्योरा मांगा है। रजिस्ट्रार ने प्राचार्यों को पत्र लिखकर वित्तीय शक्तियों के निलंबन के दौरान हुए खर्चों का विवरण देने को कहा है। कालेजों को बिना अनुमति के किए गए भुगतान और निर्माण कार्यों की जानकारी भी देनी होगी। विश्वविद्यालय ने पिछले पांच वर्षों के खर्च का हिसाब भी मांगा है।

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के रोक के बावजूद अंगीभूत कालेजों ने लाखों रुपये खर्च कर दिये। सबसे बड़ी बात यह कि राशि का भुगतान भी हो गया है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने ऐसे अंगीभूत कालेजों में वित्तीय अनियमितताओं पर नकेल कसने का निर्णय लिया है।

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    कुलपति के आदेश पर रजिस्ट्रार प्रो.समीर कुमार शर्मा ने सभी कालेज के प्राचार्य को पत्र भेजा है। पांच मई से निलंबित वित्तीय शक्तियों की अवधि के दौरान वहां से किन मदों में पैसे खर्च किए गए हैं। विवि प्रशासन ने सभी खर्चों का विस्तृत ब्योरा और अनुपालन रिपोर्ट पांच अगस्त तक उपलब्ध कराने को कहा है।

    कालेजों को वित्तीय लेनदेन का पूरा विवरण देना है। इसमें परिचालन, संविदात्मक, आपातकालीन या तदर्थ सभी तरह के खर्च शामिल है। विदित हो कि प्राचार्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सभी कालेज को वित्तीय कार्यों पर रोक लगा दी गई थी।

    विशेष परिस्थिति में विश्वविद्यालय से अनुमति के बाद कोई कार्य किया जा सकता था। विवि प्रशासन को जानकारी मिली कि बगैर अनुमति के कालेजों ने लाखों रुपये का भुगतान किया है। बिना टेंडर के निर्माण कार्य कराया गया है।

    कुलसचिव ने रिपोर्ट के साथ-साथ कालेजों को यह भी बताना है कि कार्य शुरू करने से पूर्व कुलपति से अनुमति ली गई है या नहीं। हस्ताक्षर और मुहर लगा वर्ष-वार व्यय का सारांश, वाउचर-बिलों की मूल व सत्यापित प्रतियां, भुगतान का प्रमाण (बैंक पर्ची, यूटीआर संदर्भ), प्रत्येक लेनदेन के लिए बिहार वित्तीय नियम के अनुसार लिखित कारण देना है।

    वहीं प्राचार्य को घोषणा पत्र देना है कि सभी लेनदेन विश्वविद्यालय के मानदंडों के अनुसार किए गए है। वित्तीय गड़बड़ी नहीं हुई है। जमा की गयी रिपोर्ट विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत देयता के साथ प्रस्तुत की गई है।

    विश्वविद्यालय को दिये गये एडवांस का भी लेखा-जोखा मांगा गया है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के विभिन्न विभाग, कालेज, शिक्षक व कर्मचारियों को विश्वविद्यालय की ओर से जो एडवांस राशि दी गयी थी। उसके खर्च का भी हिसाब मांगा गया है।

    महालेखाकार की ओर से मांगी गयी रिपोर्ट के बाद विश्वविद्यालय ने सभी कालेज और विभागों से रिपोर्ट मांगा गया है। कालेजों की ओर रिपोर्ट आने के बाद उसकी जांच करायी जाएगी। रिपोर्ट की जांच बिहार वित्तीय अधिनियम और आडिट प्रोटोकॉल के तहत कराया जाएगा।

    किसी भी वित्तीय अनियमितता, गलत रिपोर्टिंग या जानकारी छिपाने पर राशि की वसूली होने की संभावना है। वित्तीय अनियमितता की स्थिति में कार्रवाई भी की जाएगी। पांच अगस्त तक रिपोर्ट की हार्ड कापी और डिजिटल प्रति जमा करने का निर्देश दिया गया है।

    विवि की सख्ती से कालेज प्रशासन की बेचैनी बढ़ गई है। दूसरी ओर विश्वविद्यालय ने सभी कालेजों से बीते पांच वर्षों में किये गये खर्च का भी हिसाब मांगा है। कहा है कि इस अवधि में कालेज की ओर से खर्च किये गये राशि का पूरा व्यौरा मांगा है।

    सरकार की ओर से रिपोर्ट मांगी गई है। महालेखाकार की टीम विश्वविद्यालय पहुंची थी। इसके बाद कालेजों से जानकारी मांगी गयी है।

    प्रो. समीर कुमार शर्मा, कुलसचिव, बीआरएबीयू