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    Darbhanga News: 81 करोड़ के नशीले इंजेक्शन बेचने में दुकानदार गिरफ्तार, अब एमआर की खोज

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 02:13 PM (IST)

    दरभंगा में नशीले इंजेक्शन के अवैध कारोबार का पर्दाफाश हुआ है। 81 करोड़ 80 लाख रुपये के नशीले इंजेक्शन बेचने के आरोप में एक दवा दुकानदार को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में एक एमआर का नाम सामने आया है जिसकी तलाश जारी है। जांच में पता चला कि केटामाइन इंजेक्शन की अवैध खरीद-बिक्री की जा रही थी जिसमें एमआर भी शामिल था।

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    81 करोड़ के नशीले इंजेक्शन बेचने में दुकानदार गिरफ्तार, अब एमआर की खोज

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। बिहार सहित कई राज्यों में 81 करोड़ 80 लाख रुपये के नशीले इंजेक्शन बेचने में दवा दुकानदार की गिरफ्तारी के बाद एक एमआर की खोज तेज कर दी गई है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स, लखनऊ की टीम ने शुक्रवार को डीएमसीएच के पास ड्रग एजेंसी चलाने वाले मनोज कुमार साह को उसके घर विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र के कादिराबाद स्थित नीम पोखर मोहल्ला से गिरफ्तार किया था। जहां पूछताछ में उसने एक एमआर का नाम बताया है।

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    जांच में सामने आया कि उसने अलग-अलग बैच नंबरों वाले केटामाइन इंजेक्शन की अवैध खरीद की और कई जगहों पर बेचने का काम किया। सूत्रों के अनुसार, एमआर केटामाइन इंजेक्शन के लिए मनोज से बड़े पैमाने पर आर्डर लेता था। जिसे कंपनी से मंगाकर मनोज को उपलब्ध कराता था। जिसे मनोज अपनी एजेंसी के नाम से बिल काटकर खपाने का काम करता था।

    मुनाफे की कमाई में मनोज के साथ फरार चल रहे एमआर भी हिस्सेदार पाया गया है। टीम ने दुकानदार के घर और दुकान की तलाशी ली। जहां से कई दस्तावेज, कंप्यूटर आदि को जब्त किया गया। इसके बाद उसे लहेरियासराय थानाक्षेत्र के बलभद्रपुर मोहल्ला स्थित सीजीएसटी कार्यालय ले जाया गया। जहां से टीम ने उसके कई दस्तावेज की जानकारी ली।

    बताया जाता है कि नशीले इंजेक्शन बेचने के साथ वह टैक्स की भी चोरी करता था। मनोज ने छह माह पहले इंजेक्शन के लिए 22 लाख 50 हजार रुपये का आर्डर दिया था। बताया तो यह भी जाता है कि वह डीएमसीएच में दवा की सप्लाई करता है। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

    बताया जाता है कि यूपी के ग्वालियर स्थित सीबीएन मुख्यालय ने लखनऊ के उप आयुक्त कार्यालय को खुफिया जानकारी से अवगत कराया। बताया गया कि केटमाइन की 1800 इंजेक्शन जिसकी मात्र 818 किलोग्राम है, की बिक्री की गई है। इसकी कीमत नशेड़ियों के बाजार में 10 लाख रुपये प्रति किलोग्राम बताया गया है।

    बताया जाता है कि दवा की खपत का लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण दवा कंपनी ने ही इसकी सूचना विभाग को दी है। नारकोटिक्स ब्यूरो की कार्रवाई से अन्य दवा दुकानदारों में हडकंप मचा है। बहरहाल, टीम के फिर से दरभंगा आने की सूचना है।

    विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया कि छापेमारी में स्थानीय पुलिस से कोई सहयोग नहीं लिया गया। एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने बताया कि दरभंगा पुलिस समेत संबंधित थाने को इसकी सूचना नहीं है। मनोज की गिरफ्तारी के बारे में किसी विभाग ने अब तक पत्राचार नहीं किया है।