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    Muzaffarpur News: बांध ने बिगाड़ी खेत की सेहत, जहां उपजता था गेहूं-धान वहां उग रही गुरहन घास

    By Amrendra Tiwari Edited By: Ajit kumar
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 02:05 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर जिले में बागमती नदी के किनारे का इलाका गुरहन घास से प्रभावित है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। पहले यहाँ गेहूँ और धान की अच्छी फसल होती थी, लेकिन अब गुरहन घास के कारण खेती मुश्किल हो गई है। 2007 में बांध बनने के बाद यह समस्या और बढ़ गई है, जिससे किसान परेशान हैं और कृषि विभाग से मदद की उम्मीद कर रहे हैं।

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। जिले के उत्तरी हिस्से में बागमती नदी किनारे फैला बड़ा रकबा अब उर्वर नहीं रहा। जहां पहले गेहूं और धान की भरपूर उपज होती थी, वहां अब गुरहन घास का जंगल खड़ा है।

    हर चुनाव में यह मुद्दा उठता है, लेकिन चुनावी शोर शांत होते ही सबकुछ ठंडा पड़ जाता है। किसानों का कहना है कि उनकी समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

    बेनीपुर के किसान मनोरंजन सिंह बताते हैं कि उनके पास दस एकड़ जमीन है। 2007 से पहले वहां गेहूं और धान की खेती से इतनी आमदनी होती थी कि हर साल कुछ जमीन खरीद लेते थे।

    लेकिन बांध बनने के बाद गुरहन घास ने खेतों पर कब्जा कर लिया। अब साल भर की बचत मुश्किल से हो पाती है। खेत में फसल उगाने के लिए लगातार दवा का छिड़काव करना पड़ता है।

    बसंत के मनीष कुमार सिंह कहते हैं कि गुरहन की वजह से उनके खेत बर्बाद हो गए हैं, अब वे खेत की तरफ देखते भी नहीं।

    किसानों ने बताया कि 2007 में आई बाढ़ से बचाव के लिए यहां बांध का निर्माण हुआ। बांध बनने के बाद इसकी मिट्टी में विदेशी प्रजाति की गुरहन घास उग आई, जो अब लगभग 19 किलोमीटर में पांच हजार हेक्टेयर तक फैल चुकी है।

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    किसानों के लाख प्रयास के बावजूद वे इससे मुक्ति नहीं पा सके। खेतों में अनाज की पैदावार बंद हो गई है और नीलगाय, बनैया सुअर जैसे जंगली जानवरों का बसेरा हो गया है।

    कटौंझा से कटरा तक घास ही घास

    किसानों के अनुसार कटौंझा से लेकर कटरा सीमा तक बांध किनारे बसे जनार, बसंत, मटिहानी, फतहपुर, बेरौना, सरहचिंया, मधुबन प्रताप, करहटी, पटोरी, हंसबारा, अतरार, माधोपुर, महुआरा, बाड़ा बुर्जुग, बारा खुर्द, चैनपुर, महेशबारा, बेनीपुर, जीवाजोर, शंकरपुर, कीरथपुर, भरथुआ, कल्याणपुर, बेशी, उतरी, नया गांव, हरणी टोला, बभनगांवा (पूर्वी-पश्चिमी), चउंटा, जोंकी, सुन्दरखोली, बसुआ, कटरा, धनौर, शिवदासपुर, बसंत, बिसौथा और डुमरी गांव इस समस्या से प्रभावित हैं।



    गुरहन की समस्या के निदान की पहल होगी। औराई व कटरा के प्रखंड कृषि पदाधिकारी से ताजा रिपोर्ट ली जाएगी। उसके बाद कार्ययोजना बनाई जाएगी।

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    सुधीर कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी