Heatwave Alert: आसमान से बरस रही 'आग', दुधारू पशु भी परेशान; विभाग ने जारी की एडवाइजरी
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. कुमार कांता प्रसाद ने कहा कि मौजूदा समय में पड़ रही धूप पशुओं के लिए घातक है। अधिक देर तक मवेशियों को धूप में छोड़ने से उनमें हीट स्ट्रोक की समस्या आती है। यदि शीघ्र उपचार नहीं मिला तो पशुओं की मौत तक हो जाती है। इसके साथ ही दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित होगा। जिससे पालकों को नुकसान पहुंचता है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। गर्मी की रफ्तार तेज होने के साथ ही दुधारू पशुओं को परेशाानी हो रही है। पशुपालन विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। इधर, तिमुल में कलेक्शन कम हुआ है। विकल्प के तौर पर सूखा पाउडर के उपयोग की रणनीति बन रही है।
जिला पशुपालन विभाग के अनुसार, हीटवेव के कारण पशुओं के दूध देने में करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है। पशुओं के दूध में कमी आने से पालकों को नुकसान हो रहा है।
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. कुमार कांता प्रसाद ने कहा कि मौजूदा समय में पड़ रही धूप पशुओं के लिए घातक है। अधिक देर तक मवेशियों को धूप में छोड़ने से उनमें हीट स्ट्रोक की समस्या आती है। यदि शीघ्र उपचार नहीं मिला तो पशुओं की मौत तक हो जाती है। इसके साथ ही दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित होगा। जिससे पालकों को नुकसान पहुंचता है।
पशुओं को छायादार स्थान पर रखें, धूप में चरने के लिए न छोड़ें। बताया कि उनके विभाग की ओर से जागरूकता की जा रही है। बताया कि सुबह सामान्य मवेशी के शरीर का तापमान दोपहर से शाम तक 104 से 106 डिग्री तक हो जाता है। शरीर का तापमान बढ़ने के साथ मुंह से लार भी आने लगता है। मवेशी खाना-पीना छोड़ देते हैं। पशु कमजोर होने लगता है। दुधारू मवेशी दूध कम कर देते हैं। शरीर में पानी की कमी होने से गोबर रुक जाता है। इसलिए सजग रहना चाहिए।
दूध का संग्रह हुआ कम
तिमुल के एमडी फूल कुमार झा ने कहा कि जिस तरह का मौसम चल रहा इससे पशुओं को परेशानी है। बताया कि औसतन प्रतिदिन तीन लाख लीटर दूध का संग्रह होता था। अभी यह संग्रह दो लाख 60 हजार पर पहुंच गया है। बताया कि संग्रह घटने के बावजूद अभी उनके उत्पाद प्रभावित नहीं हुए हैं। बाजार में ढाई लाख लीटर दूध व दूध से बने उत्पाद की खपत होती हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि अगर यही हालत रहे तो इसमें और कमी होगी। बताया कि उनके यहां पर सूखा दूध उत्पादन यूनिट लगी है। दूध की कमी नहीं हो इसके लिए ढाई लाख टन दूध बराबर रहता है। बताया कि अप्रैल-मई व जून में समस्या रहती हैं। 15 जुलाई से लेकर मार्च तक दूध की स्थिति सामान्य रहती हैं।
इस तरह से करें बचाव
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. प्रसाद ने कहा कि पशुओं को छायादार स्थान पर रखें, धूप में चरने के लिए न छोड़ें। धूप से लाने के बाद कुछ देर छाए में बांधे, तब पानी पिलाएं। सुबह और शाम को सूर्यास्त के बाद नहलाने का प्रयास करें। पशुशाला के ऊपर पुआल डालें, ताकि वह गर्म न हो।
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