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    फांसी स्थल और विशेष सेल को दर्शन हेतु खोलने पर प्रशासन करेगा विचार, आयुक्त ने खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर दिया आश्वासन

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 12:36 PM (IST)

    Muzaffarpur News खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर सोमवार को केंद्रीय कारा में सुबह 350 बजे उपस्थित अधिकारियों और लोगों ने उन्हें सलामी दी और पुष्पांजलि अर्पित की। फांसी स्थल पर माटी में दो पौधे लगाए गए और प्रसाद अर्पित किया गया। इस अवसर पर तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त राजकुमार और डीएम ने उनके योगदान की चर्चा की।

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    केंद्रीय कारा में अधिकारियों को खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी। जागरण

     जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। अमर बलिदानी खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर सोमवार को केंद्रीय कारा में विशेष आयोजन हुआ। अमर शहीद अपने साथियों संग जिस विशेष सेल में रहे थे, वहां हवन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

    फांसी स्थल पर गार्ड आफ आनर देने के साथ पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त राजकुमार ने कहा कि खुदीराम बोस हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

    इतने कम उम्र में आजादी की लड़ाई में कूदकर बलिदान देना देश का पहला उदाहरण है। उन्होंने कहा कि फांसी स्थल और विशेष सेल को आमलोगों के दर्शन हेतु खोलने की मांग पुरानी है, जिस पर प्रशासन विचार करेगा।

    जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि उनका योगदान युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दी गई उनकी कुर्बानी सदैव प्रेरणा देगी।

    सुबह से चहल-पहल, गूंजे देशभक्ति के गीत

    118वें बलिदान दिवस पर अलसुबह से ही केंद्रीय कारा परिसर देशभक्ति के गानों से गूंज उठा। जेल रंगीन बल्बों से सजा था, हवन की सुगंध फैली थी और बैकग्राउंड में बज रहा था, एक बार विदाई दे मां, घूरे आसी, हांसी-हांसी परबो फांसी..। यह वह गीत था जिसे गाते हुए खुदीराम ने फांसी के फंदे को चूमा था।

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    इससे पहले सुबह करीब 3 बजे से ही लोग जेल गेट पर जुटने लगे। गेट खुलने और अंदर प्रवेश के लिए सब बेसब्र थे। मौके पर तिरहुत प्रमंडल आयुक्त राजकुमार, डीएम सुब्रत कुमार सेन, एसएसपी सुशील कुमार, एसडीपीओ टाउन सुरेश कुमार, एसडीओ पूर्वी अधिकारी पहुंचे।

    गांव से पहुंचीं 101 राखियां और मंदिर का प्रसाद

    पश्चिम बंगाल के मेदिनापुर स्थित खुदीराम बोस के पैतृक गांव से आए प्रकाश कुमार हलधर, उन पर शोध करने वाले अरिंदम भौमिक, अनूप मल्लिक, पंपा मल्लिक, रवींद्रनाथ देव, टुम्पा डे, कल्याणी मेहता और तुहीन मेहता देवी मंदिर का प्रसाद और गांव की मिट्टी लेकर केंद्रीय कारा परिसर पहुंचे।

    उन्होंने सेल में स्मारक पर पुष्प अर्पित किए। 101 राखियां कारा प्रशासन को दीं। फांसी स्थल पर माटी में दो पौधे लगाए गए और प्रसाद अर्पित किया गया। इसी स्थान पर 11 अगस्त 1908 की सुबह 3:50 बजे खुदीराम बोस को फांसी दी गई थी।

    ठीक उसी समय उपस्थित अधिकारियों और लोगों ने उन्हें सलामी दी और पुष्पांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि देने के लिए अधिकारी और सामाजिक संगठनों के लोग ऐतिहासिक सेल में भी पहुंचे, जहां खुदीराम को रखा गया था। सभी खुदीराम बोस अमर रहे का नारा बुलंद कर रहे थे।