कालेजों ने नहीं बनाए नोडल, मुजफ्फरपुर में स्कालरशिप वेरीफिकेशन पेंडिंग होने से परेशानी<br/>
मुजफ्फरपुर के बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कॉलेजों में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप (पीएमएस) आवेदनों का सत्यापन रुका हुआ है क्योंकि कॉलेजों ने नोडल अधिकारी नहीं बनाए हैं। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय से कॉलेजों को सत्यापन में सहयोग करने की अपील की है ताकि छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति मिल सके। कई छात्रों के आवेदन लंबित हैं, जिससे उन्हें छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर।BRA Bihar University: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कालेजों में नामांकित छात्र-छात्राओं के पीएमएस यानी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के आवेदनों का सत्यापन नहीं हो पा रहा है।
कालेजों ने आवेदनों के सत्यापन के लिए अब तक नोडल पदाधिकारी भी नहीं बनाए हैं। इस कारण वेरीफिकेशन की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है। शिक्षा विभाग के सचिव अजय यादव ने इसको लेकर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को पत्र भेजा है।
इसमें कहा गया है कि पिछले दिनों विभाग की ओर से पीएमएस के आवेदनों के सत्यापन संबंधित रिकार्ड की मांग की गई थी, लेकिन अब तक नहीं मिला है।
कहा गया है कि राज्य के प्रवेशिकोत्तर कक्षा में अध्ययनरत अनुसूचित जाति - जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत पोर्टल पर आनलाइन किए गए आवेदनों के संबंध में कालेजों के नोडल अधिकारी की ओर से 15 दिनों के भीतर सभी पंजीकृत आवेदनों का सत्यापन और अनुमोदन किया जाना है।
संबंधित महाविद्यालयों की ओर से आवेदनों की जांच संबंधित जिला के डीपीओ की ओर से गठित भौतिक सत्यापन समिति की ओर से किया जाना है। ऐसे में संबंधित संस्थानों की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय से कहा है कि वे संबंधित कालेजों के नोडल अधिकारियों को सत्यापन में सहयोग करने की अपील करें ताकि आवेदकों को ससमय प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति से लाभान्वित किया जा सके।
इसे उच्च प्राथमिकता के तौर पर किया जाना आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कई प्रीमियर कालेजों में नामांकित छात्र-छात्राओं का पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप संबंधित आवेदन महीनों से पेंडिंग है। इस कारण उन्हें स्कालरशिप का लाभ अब तक नहीं मिल सका है। कई बार छात्र-छात्राओं ने इसकी शिकायत जिला शिक्षा विभाग से भी की है।

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