Muzaffarpur News: दिन में गर्मी रात में ठंड; बदलते मौसम से 800 बच्चों की बिगड़ी सेहत, SKMCH में मरीजों की भीड़
मुजफ्फरपुर में मौसम बदलने से बच्चों की तबीयत बिगड़ रही है। एसकेएमसीएच में 800 से ज्यादा बच्चे इलाज के लिए आए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि तापमान में बदलाव से बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार हो रहा है। अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टरों ने माता-पिता को बच्चों का ध्यान रखने और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलने की सलाह दी है।

बदलते मौसम से बीमार होकर एसकेएमसीएच इलाज को पहुंचे 800 बच्चे। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बदलते मौसम के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं। सोमवार को मौसमी बीमारी की चपेट में आकर एसकेएमसीएच के शिशु विभाग में 800 बच्चों का इलाज कराने उनके स्वजन लेकर पहुंचे।
चिकित्सीय उपचार के दौरान 300 से अधिक बच्चे निमोनिया और सांस रोग से ग्रसित मिले। गंभीर हालत में 20-30 बच्चों को रोजाना ओपीडी में भर्ती कराया जा रहे हैं। चिकित्सक बीमारी के कारण गर्मी और ठंड के साथ ही प्रदूषण बता रहे हैं।
चिकित्सक कहते हैं कि यह मौसम बच्चों के फेफड़ों पर भी असर डाल रहा है। इस कारण उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम वाले बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।
अस्थमा, सर्दी-जुकाम, बुखार और एलर्जी के मरीज भी हर दिन अस्पताल पहुंच रहे हैं। स्थिति यह है कि एसकेएमसीएच के एनआइसीयू और पीआइसीयू वार्ड हाउसफुल होना शुरू हो गया है। यहां जिले के अलावा शिवहर, सीतामढ़ी व मोतिहारी से भी बच्चों को इलाज के लिए लाया जा रहा है।
सर्दी-खांसी जैसे मामूली लक्षणों की नहीं करें अनदेखी
मौसम बदल रहा है। सुबह दस बजते ही गर्मी और शाम होते ही ठंड, बच्चों का सेहत बिगाड़ना शुरू कर दिया है। शिशु रोग विशेषज्ञ डा. राजीव कुमार के अनुसार सर्दियों में श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं।
खासकर छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं में। सर्दी-खांसी जैसे मामूली लक्षणों की अनदेखी करने पर बच्चे निमोनिया की चपेट में आ सकते हैं, जो कि जानलेवा साबित हो सकता है।
उन्होंने बताया कि अगर निमोनिया में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत नहीं होती तो उसे दवा दी जाती हैं। स्थिति के आधार पर एंटीबायोटिक दी जाती है। यह भी देखा जा रहा है कि प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण बुखार, खांसी होने पर जल्दी ठीक नहीं हो रही है।
इन्फेक्शन के कारण खांसी अधिक दिनों तक चल रही है। अधिकांश बच्चों को दवा की डोज बढ़ानी पड़ रही है। कई मरीजों को इनहेलर का सुझाव दिया गया है। माइल्ड केस में फालोअप करना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसे मामलों में अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
संक्रमित व्यक्ति खांसता व छींकता है तो वायरस व बैक्टीरिया सांस से फेफड़ों तक पहुंच कर सामने बैठे व्यक्ति को संक्रमित कर देते हैं। खासतौर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने और दूध पीने में दिक्कत होती है।
इन बातों का रखें ध्यान
- धूल और गंदगी से छोटे बच्चों को दूर रखें।
- छोटे बच्चों को रोज नहलाने के बजाय हर दूसरे दिन गर्म पानी में साफ्ट एंटीबैक्टीरियल लिक्विड डालकर उसमें नर्म तौलिया भिगोकर उनका शरीर साफ कर दें।
- मौसम के अनुसार बच्चे को गर्म कपड़े पहनाना शुरू कर दें।
- हल्की ठंड को नजरअंदाज न करें।
- गर्म तेल से करें मालिश।
- सर्दियों में बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें।
- सर्दी में भूल से भी बच्चे को ठंडी और बासी खाना न दें।
- गर्मी हो या सर्दी शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है। ऐसे में पानी पर्याप्त मात्रा में दें।
- अच्छी हाइजीन की आदत डालें।
- बच्चे को बाहर निकलने पर अपनी–आंखों और मुंह को छूने से बचने के लिए प्रोत्साहित करें।
दिन में गर्मी, रात ढ़लने पर ठंड की अनुभूति
मुजफ्फरपुर में मौसम में बदलाव शुरू हो गया है। दिन में एक और गर्मी की अनुभूति होती है तो रात ढ़लने के साथ ही ठंड का एहसास हो रहा है। आने वाले दिनों में तापमान में कमी दर्ज होगी। दूसरी ओर रात के तापमान में में कमी आएगी।
सोमवार को दिन का अधिकतम तापमान 31.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। यह सामान्य से करीब एक डिग्री कम है। दूसरी ओर न्यूनतम तापमान 19.6 डिग्री तक पहुंचा है।
यह सामान्य से करीब चार डिग्री नीचे पहुंचा है। मौसम विभाग की माने तो आने वाले दिनों में तेजी से न्यूनतम तापमान में कमी आएगी। पिछले 24 घंटों में 13.2 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चली है।
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